कल तक तालेबान को ख़त्म करने की बात करने वाले ट्रम्प अब उनके नेताओं से मुलाक़ात के लिए बेक़रार

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

अमेरिका-तालेबान के बीच हुए शांति समझौते के बाद बोले डोनल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह जल्द ही तालेबानी नेताओं से मुलक़ात करेंगे।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प  ने शनिवार को कहा कि उनकी जल्द ही तालेबान के नेताओं से मुलाक़ात करने की योजना है। साथ ही उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध कोई और लड़े, विशेषकर उस क्षेत्र के देश यह लड़ाई लड़ें जिस क्षेत्र में आतंकवाद की समस्या हो। ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं जल्द ही तालेबान के नेताओं से व्यक्तिगत तौर पर मुलाक़ात करुंगा। उन्होंने कहा कि हमे उम्मीद है कि तालेबान ने जो कहा है वह उस पर अमल करेंगे। ट्रम्प ने यह भी आशा व्यक्त की है कि तालेबान अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद आतंकवादियों का ख़ात्मा स्वयं करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमें अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादियों का सफ़ाया करने में बड़ी सफलता मिली है, लेकिन इतने वर्षों के बाद अब समय आ गया है कि अपने लोगों को घर वापस लाया जाए। हम अपने लोगों को घर लाना चाहते हैं।’ ट्रम्प का यह बयान तब आया है जब अमेरिका और तालेबान ने दोहा में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसके तहत अमेरिका 14 माह के अंदर अपने सैनिकों को अफ़ग़ानिस्तान से वापस बुला लेगा। ट्रम्प ने कहा, ‘अमेरिका को हर चीज़ की जानकारी दी गई है।’ अफ़ग़ानिस्तान में अभी अमेरिका के क़रीब 13,000 सैनिक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में बहुत लंबा सफर रहा।
इस बीच पश्चिमी एशिया के कई जानकारों का मानना है कि अमेरिका ने वर्ष 2001 में जबसे आतंकवाद का बहाना बना कर अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया है तबसे अब तक उससे अपना कोई भी लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सका है, बल्कि यह ज़रूर कहा जा सकता है कि उसने इन सभी वर्षों में जितना पाया है उससे कहीं अधिक खोया है। जानकारों के मुताबिक़, कल तक जो अमेरिका, तालेबान को आतंकवादी संगठन और आतंकवाद का मुख्य स्रोत बता रहा था अब वही अमेरिका तालेबान के साथ एक मेज़ पर बैठक समझौता कर रहा है। 2001 से 2020 तक अफ़ग़ानिस्तान न केवल विकास से दूर रहा है बल्कि अमेरिकी हमलों में इस देश का मूलभूत ढांचा पूरी तरह नष्ट हो गया है। सबसे जो खेदजनक बात है वह है इस देश की आम जनता का ख़ून जिसे अमेरिका ने इतने वर्षों में पानी की तरह बहाया है।

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