उपद्रवियों से क्षतिपूर्ति वाले अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी, अब आदेश होते ही कुर्क होगी संपत्ति

प्रधान संपादक आलीमा शमीम अंसारी

लखनऊ । राजनीतिक जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से वसूली के लिए लाए गए यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के बाद अध्यादेश अधिसूचित कर दिया गया है। इस अध्यादेश को मंजूरी मिलते ही अब सरकार रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में क्लेम ट्रिब्यूनल बनाएगी। इसके फैसले को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। इतना ही नहीं वसूली का नोटिस जारी होते ही सरकारी या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति की संपत्तियां कुर्क कर दी जाएंगी। साथ ही आरोपियों के पोस्टर भी लगाए जाएंगे, ताकि कोई उन संपत्तियों को बेच नहीं सके।
क्लेम ट्रिब्यूनल के पास दीवानी अदालत की तरह अधिकार होंगे। इसमें अध्यक्ष के अलावा एक और सदस्य भी होगा, जो सहायक आयुक्त स्तर का होगा। नुकसान के आकलन के लिए दावा आयुक्त की तैनाती की जा सकती है। दावा आयुक्त की मदद के लिए एक-एक सर्वेयर की तैनाती भी का जा सकती है। तीन माह के अंदर क्लेम ट्रिब्यूनल के समक्ष अपना दावा पेश करना होगा और उपयुक्त वजह होने पर दावे में हुई देरी को लेकर 30 दिन का अतिरिक्त समय दिया जा सकेगा। दावा पेश करने के लिए 25 रुपए की कोर्ट फीस के साथ आवेदन करना होगा। अन्य आवेदन के लिए 50 रुपए कोर्ट फीस और 100 रुपए प्रॉसेस फीस देनी होगी। आरोपियों को क्लेम आवेदन की प्रति नोटिस के साथ भेजी जाएगी। आरोपित के न आने पर ट्रिब्यूनल को एकपक्षीय फैसले देने का अधिकार होगा। ट्रिब्यूनल संपत्ति को हुई क्षति के दोगुने से अधिक मुआवजा वसूलने का आदेश नहीं कर सकेगा। मुआवजा संपत्ति के बाजार मूल्य से कम भी नहीं होगा।

 

प्रधान संपादक आलीमा शमीम अंसारी

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