ज़ायोनी संसद में नेतनयाहू को प्रधानमंत्री पद से हटाने का प्रस्ताव पेश

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सऊदी अरब में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ते हुए 500 से अधिक हो गई है तो सऊदी सरकार ने वायरस की रोकथाम के लिए कठोर क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं।सऊदी अरब ने 21 दिन का कर्फ़्यू लगा दिया है और चेतावनी दी है कि कर्फ़्यू का उल्लंघन करने वाले को हर्जाने और जेल की सज़ा होगी।वहीं इस बीच सऊदी अरब के मुफ़्तियों की कमेटी के सदस्य अब्दुल्लाह अलमनीअ ने फ़तवा दिया है कि अगर कोई कोरोना का संक्रमित व्यक्ति जान बूझ कर लोगों के बीच जाता है और यह वायरस दूसरों को अपनी चपेट में ले लेता है तो उसकी सज़ा मौत है, तलवार से उसकी गरदन काट दी जाएगी।अलमनीअ ने यह भी कहा कि जिस समय देश में कर्फ़्यू की घोषणा की गई है किसी का भी घर से बाहर निकलना अपराध और मुसलमानों को नुक़सान पहुंचाने के समान है।इस फ़तवे पर सोशल मीडिया के स्तर पर बहस छिड़ गई है कि मुफ़ती ने वाक़ई धार्मिक तर्को के आधार पर फ़तवा दिया है या सरकार के इशारे पर यह काम किया है।

एक इस्राईली दल ने संसद में प्रस्ताव पेश किया है कि आपराधिक मामले के आरोपी किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर काम न करने दिया जाए।एविग्डर लीबरमैन के नेतृत्व वाली यिस्राईल बीतैनू पार्टी ने मंगलवार को ज़ायोनी संसद कनेसेट में एक प्रस्ताव पेश किया है जिसके पास होने की स्थिति में प्रधानमंत्री बेनयामिन नेतनयाहू अपने पद पर बाक़ी नहीं रह सकते। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस प्रधानमंत्री पर भी न्यायालय में औपचारिक रूप से आपराधिक मामले का आरोप हो, उसे तीस दिन के अंदर अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।
 
यह ऐसी स्थिति में है कि जब ज़ायोनी शासन के वर्तमान क़ानूनों के अनुसार प्रधानमंत्री पद पर काम कर रहा व्यक्ति सिर्फ़ उसी स्थिति में अपने पद से इस्तीफ़ा देने पर मजबूर होगा जब उसे अदालत किसी आपराधिक मामले में सज़ा सुनाए और मुक़द्दम की पुनः सुनवाई की उसकी अपील भी रद्द हो चुकी हो। लिबरमैन इससे पहले, इससे भी कड़ा प्रस्ताव दे चुके हैं जिसमें कहा गया था कि आपराधिक मामले के आरोपी किसी भी सांसद को सरकार गठन की ज़िम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए।

इस्राईली पुलिस ने सरकारी व आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में अपने प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ तीन केस दायर किए हैं और उसने पिछले दो बरसों में नेतनयाहू के सहायकों और पूर्व मंत्रियों से पूछ ताछ की है। पिछले हफ़्ते इनमें से एक मामले की अदालत में सुनवाई होने वाली थी लेकिन कोरोना वायरस के फैलाव को देखते हुए अदालत की कार्यवाही स्थगित कर दी गई है।

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