छोट भैय्या नेताओं की मौज, जमकर हो रही लूट खसोट, प्रत्याशी जानबूझकर बन रहे अंजा

बाराबंकी चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं, चुनावी पारा अपने सातवें आसमान पर है और प्रत्याशी अपना पूरा दमखम लगाकर मैदान में हैं, प्रत्याशी ये सोंच रहा है कि ऐसा न हो कि प्रचार प्रसार में कोई कमी रह जाये और बाद में पछताना पड़े लेकिन ठीक दूसरी ओर दोनों प्रमुख पार्टियों के छोटभैय्या नेता और लटकन टाइप के लोगों कि मौज है, सुबह नाश्ते में पकौड़ी के साथ पेट्रोल और मसाला पानी का खर्च भी ऐंठ रहे हैं और दोपहर का जायकेदार भोजन भी, उसके बाद शाम को अंग्रेजी का पाठ्यक्रम शुरू होता है और उसके बाद रात्रि का लजीज भोजन उसका तो कहना ही क्या❓ खैर प्रत्याशी ये सोंचकर खर्च करने पर आमदा है कि चलो इन लोगों की भी चार दिन की चांदनी है फिर अंधेरी रात फिर तो हमको भी मौज उड़ानी ही है! सूत्रों की माने तो आदर और पिटनी तंबाकू खाने वाले भी इस समय तुलसी और सिग्नेचर के साथ साथ रजनीगंधा उड़ा रहे हैं! सूत्रों के अनुसार इस समय जब चुनाव में मात्र 3 दिन बचे हैं तो बूथ जिताने वाले ठेकेदार भी खासे सक्रिय हैं और उनका यही मानना है कि 5 साल का महापर्व है जितना घसीट पाओ घसीट लो! रैली के नाम पर लोगों को लाने वालों की तो बल्ले बल्ले है! ये हाल दोनों प्रमुख प्रत्याशियों के साथ घटित हो रहा है क्या भाजपा और क्या इंडिया गठबंधन! तभी तो जीतने के बाद नेता जी या तो फोन नंबर बदल देते हैं या फिर वो फोन उठाकर अपने सचिव को दे देते हैं! अब अगर बात की जाये जनता की तो जनता में खासकर ठेकेदारों के प्रति ज्यादा गुस्सा नजर आ रहा है और प्रत्याशी जनता से सीधे कनेक्ट ही नहीं हो पा रहा है! प्रत्याशी को कुछ स्थानीय नेताओं द्वारा हाइजैक कर लिया जाता है ताकि क्षेत्र में सिर्फ उन्हीं का पौवा रहे कि नेता जी की फलाने से बहुत बनती है लेकिन अधिकांश जनता की नाराजगी पार्टी के बड़े नेताओं से न होकर इन वोट के ठेकेदारों से ही है! अब देखते हैं कि आने वाले समय में ऊंट किस करवट बदलता है लेकिन जनता ने मन में ठान लिया है कि किसकी तस्वीर बदलनी है । कुछ भी हर तरफ से नोचमनोच जारीजारी है!

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