कांग्रेस के शासनकाल में संविधान में 122 बार संशोधन, आज उसे संविधान खतरे में नजर आ रहा- वसीम राईन

बाराबंकी। पसमांदा मुसलमान को बर्बाद करने के पंजा छाप पार्टी ने कोई कसर बाकी नही रखी जबकि यही 85 फीसदी आबादी कांग्रेस के पीछे साये की तरह रही और देश पर राज करने के मौके देती रही। उल्टे कांग्रेस ने बस वोटबैंक समझ कर इस्तेमाल करना जारी रखा। देश ही नही दुनिया भर में कांग्रेस से ज्यादा मतलबपरस्त पार्टी और कोई नही होगी।
यह बात आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने अपने बयान में कही। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अपने वजूद को लेकर फिक्रमंद रहते हैं। लगातार सत्ता सुख भोगती आ रही कांग्रेस को 1984 में 404 सीटें हासिल हुई तो उस कामयाबी के केन्द्र में पसमांदा मुसलमान ही था, जिसने बिना बिना कुछ सोंचे समझे कांग्रेस का हमेशा की तरह खुलकर साथ दिया और कांग्रेस इस कदर दोगली निकली कि वह आर्टिकल 341 के तहत लगाए गए धार्मिक प्रतिबंध भी समाप्त नही कर सकी। जो उसी के सत्ताकाल में लगाये गए थे। रही।बात संविधान की तो कांग्रेस ने अपने शासनकाल में 122 बार संशोधन किए पर इस आर्टिकल से निजात दिलाने की कोशिश कभी नही की गई। इतने संशोधन के बाद कांग्रेस को खतरा नजरग नही आया अब उसे संविधान खतरे में दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि दशकों बीतने के बावजूद कांग्रेस ने सत्ता, सदन से लेकर संगठन कहीं भी पसमांदा समाज को बढ़ने पनपने का मौका नही दिया और न ही इस समाज की आर्थिक, शैक्षिक व बुनियादी तरक्की पर कभी बात ही की। आज जरूरत पड़ने पर गठबंधन की लत पाल ली है क्योंकि खुद का वजूद खतरे में नजर आ रहा है। कायदे से तो गांधी परिवार ने सत्ता के लालच में देश का बेड़ा गर्क कर दिया। परिवारवाद के चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस को आज खुद की पहचान के लिए गली गली भटकना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने समय रहते पसमांदा मुसलमान की तकलीफों को समझा होता या फिर वोटबैंक बनाकर न रखा होता तो आज यह पार्टी इतनी बदहाल न होती। पार्टी के राजकुमार अवाम को तरह तरह के लालच देकर फिर से सत्ता में लौटने के लिए संघर्ष न कर रहे होते। वास्तव में वक़्त रहते पसमांदा मुसलमान ने भी कांग्रेस के असली चेहरे को देख लिया और मतलबपरस्ती के चंगुल से बाहर निकल आया।

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