जो पानी हम पी रहे हैं, वह कितना शुद्ध है, इसकी जांच अब लोग स्वयं भी कर सकेंगे

मसौली बाराबंकी। जो पानी हम पी रहे हैं, वह कितना शुद्ध है, इसकी जांच अब लोग स्वयं भी कर सकेंगे जिसके लिए शुक्रवार को पंचायत भवन बड़ागांव मे राज्य पेयजल एव स्वच्छता मिशन नमामि गंगे एव ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के तत्वाधान मे आयोजित कार्यशाला मे जलसखियो को वाटर टेस्टिंग किट वितरित दी गयी।
कार्यशाला मे मास्टर ट्रेनर शिवानी शुक्ला ने बताया कि शुद्ध पेयजल से ही तमाम तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। नल का पानी अच्छी तरह से उबाल लें। जिससे जैविक प्रदूषण फैलाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाएंगे। पानी को छान व ढक कर ठंडा कर ले। इसके बाद इस जल का प्रयोग करें उन्होंने बताया कि वाटर टेस्टिंग किट में नौ प्रकार के टेस्ट किए जाने से गांवों में गंदे पानी की समस्या व अन्य बीमारियों से भी छुटकारा मिल सकता है अगर वाटर टेस्टिंग किट का इस्तेमाल पंचायत प्रतिनिधि समय-समय पर करें तो जलजनित रोगों से छुटकारा मिल सकेगा। मास्टर ट्रेनर शिवानी शुक्ला ने बताया कि किट में पानी डालकर रखने के बाद 30 से 35 डिग्री तापमान पर 12 से 24 घंटे में पानी की गुणवत्ता का प्रमाण मिल जाएगा। किट में डालने के बाद पानी काला हो गया तो वह पीने योग्य नहीं है। ऐसे मे 10 लीटर पानी मे 5 सौ ग्राम ब्लीचिंग पाउडर मिला दे। खूब हिलाने के बाद आधे घण्टे के लिए रख दे। कपड़े से छान ले। इस तरह से क्लोरीन घोल तैयार हो जाता है। यह घोल काफी दिनों तक चलता है। पीने के पानी मे प्रति लीटर के हिसाब से दो बूंद क्लोरिल घोल डालना चाहिए। क्लोरीन घोल डालने से पानी से बदबू आ सकती है। बर्तन को कुछ समय तक खुला रखने बदबू निकल जाती है, और पानी पीने योग्य हो जाता है।
इस मौक़े पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि नूर मोहम्मद ने जल सखी रामज्योति एव आरती देवी को वाटर टेस्टिंग किट दी।

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