कटप्पा जमात ने बाराबंकी में फूंक डाला भगवा महल?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

लोकसभा में हार के बाद आस्तीन के सांपों के जहर से झुलसे भाजपा नेतृत्व का क्या होगा अगला कदम! जमीं निगाहें

बाराबंकी में कटप्पा जमात ने भाजपा व मोदी- योगी की धमक पर जमकर चलाए खंजर?

भाजपा में घुसे गद्दारों पर कार्यवाही को लेकर तेज हुई कार्यकर्ताओं की आवाज!

 

बाराबंकी। संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा में पनपे कटप्पा जमात के धोखेबाज खंजरबाजों का अब पार्टी की हार के बाद भाजपा में भविष्य क्या होगा? इस जमात ने भाजपा नेतृत्व के फैसलों एवं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाराबंकी आगमन की धमक पर जमकर खंजर चलाए! अर्थात भाजपाई घरो को घर के चिरागों से ही आग लग गई? ऐसे में अब कार्यकर्ताओं की आवाज तेज हो गई है कि भाजपा में घुसे गद्दारों, दलालों को पार्टी से बाहर किया जाए! साफ है कि इस बढ़ती आवाज के मद्देनजर लोग बोल ही पड़ते हैं कि भाजपा में अब तेरा क्या होगा धोखेबाज कटप्पा? क्योंकि आपकी जमात ने तो बाराबंकी का भगवा महल ही फूंक डाला?

विश्वत सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा की जड़ों में मट्ठा डालने वाले बाराबंकी के कई तथाकथित भाजपाई अपने आकाओं के यहां दरबार गिरी करने में जुट गए हैं? दरअसल जिले की भाजपा में ऐसे कई चेहरे हैं जिन पर आज भाजपा के कार्यकर्ता खुलेआम संपन्न निकाय चुनाव में पार्टी के साथ गद्दारी करने का आरोप लगा रहे हैं। कई स्थानों पर तो खुलेआम भाजपाईयों ने भी चिल्ला चिल्ला कर ऐसे कई लोगों पर भितरघात व निरंकुश प्रशासनिक अधिकारियों की भ्रष्ट कार्यशैली पर पार्टी को हराने के आरोप लगाए हैं।
स्थिति यह है कि बीते दिनों में बाराबंकी भाजपा में इस समय कार्यकर्ताओं एवं पार्टी अनुशासन को जेब में रखने वाले खंजरबाज कटप्पा जमात के लोगों के बीच युद्ध जारी रहा नजर आता दिखाई दिया है! चर्चाओं के मुताबिक ज्यादातर भाजपाइयों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में शुरु से प्रत्याशी चयन दर चयन व टिकट की पंक्ति में शामिल होने की होड़ सहित कई अनुचित कदमों ने भाजपा की दुर्गति कर डाली।

भाजपा को सफलता के शिखर पर पहुंचाने की जिन पर जिम्मेदारी थी। उन्होंने ही अपने घमंड के चलते भाजपा को असफलता के गड्ढे में ले जाकर खड़ा कर दिया। अब सवाल उठ रहें हैं कि ऐसे लोगों पर भाजपा नेतृत्व आगे कार्यवाही करेगा या फिर यह आस्तीन के सांप 2027 की आड़ में भाजपा में रहकर पीठ पर खंजर चलाने के लिए बने रहेंगे।

अधिकांशतया भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि तानाशाही के साथ मनमानी करने वाले कई तथाकथित कटप्पा जमात के लोगों ने भाजपा के फैसले को भी नहीं बख्सा? यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाराबंकी आगमन की धमक पर भी आस्तीन के सांपो ने इतना जहर उगल दिया कि कमल का फूल बाराबंकी में मुरझा कर रह गया। यदि 2027 की आड़ में इन कटप्पाओं को छोड़ा गया तो यह पार्टी के लिए अत्यंत खतरनाक साबित हो सकता है?कार्यकर्ताओं में यह आवाज बढ़ती जा रही है कि अब भाजपा की पीठ में खंजर भोंकने वाले कटप्पा बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है!

सूत्रों का दावा है कि ऐसे कई कटप्पा जमात के लोग अपने आकाओं के यहां अब दरबारगिरी कर रहे हैं! ताकि वह भाजपा की सत्ता का मजा लेते रहे। जबकि सत्यता यह है कि बाराबंकी के बहुतायत भाजपाइयों में पार्टी के कई पदाधिकारियों व कई बड़े चेहरों को लेकर व्यापक आक्रोश फैला हुआ है?समर्पित भाजपाई यह स्पष्ट कहते हैं कि हमें गद्दारों की फौज नहीं चाहिए !हमें पार्टी के लिए मर मिटने वाले योद्धाओं की सेना चाहिए! पार्टी नेतृत्व को अब बाराबंकी में एक बड़ा ऑपरेशन करते हुए पार्टी में घुसे अवसरवादियों व गद्दारों को पार्टी से बाहर करना ही चाहिए। कार्यकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट कहा कि जिन स्थानों पर पूर्व के चुनाव में हमारा प्रत्याशी जीता था आज इस चुनाव में हम वहीं से हारे हैं। अर्थात पार्टी की हार नई नवेले अनुभवविहीन एवं चापलूस टाइप के तथाकथित भाजपाइयों की करनी का फल है! उससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है।

साफ है कि भाजपा बाराबंकी में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आगे सफलता अर्जित करना चाहती है तो उसे पार्टी में गड़बड़ कर रहे विषैले तत्वों पर हमलावर होना पड़ेगा। भाजपा नेतृत्व ऐसे खंजरबाज कटप्पाओं का क्या करेगा? यह पार्टी में रहकर पार्टी की साख पर खंजर चलाएंगे अथवा पार्टी से बाहर किए जाएंगे? इस पर निगाहें जमी हुई है ।
कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बेबाक कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी के साथ विश्वासघात करने वाले कई बड़े चेहरों को पार्टी से हटाया जाए। ताकि चुनाव के दौरान दल से गद्दारी करने वाले गद्दारों को सबक मिल सके!इस तरह भाजपा में व्यापक आक्रोश देखते हुए बाराबंकी के लोग बोल पड़ते हैं। भाजपा में अब तेरा क्या होगा धोखेबाज कटप्पा? क्योंकि आपने तो अपनी जमात के साथ बाराबंकी का भगवा महल ही फूंक डाला?

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