यमन जंग की दलदल में धंसता जा रहा है सऊदी अरब, बिन सलमान अंसारुल्लाह के सामने लाचार, यमन ने ऊदी अरब के सामने रखीं तीन शर्तें!
समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान यमन युद्ध के दलदल से बाहर निकलने के लिए हाथ पांव मार रहे हैं। अमरीकी मैगज़ीन इकानोमिस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि यह तो सोचना बेकार है कि सऊदी अरब उदारता और साहस का प्रदर्शन करेगा।
यह देश पांच साल से अब तक यमन पर अंधाधुंध हमले करके उसके मूल प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर रहा है। सऊदी अरब की इस जंग में एक लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
मगर अचानक 8 अप्रैल को सऊदी एलायंस ने एलान कर दिया कि वह यमन में दो हफ़्ते का संघर्ष विराम कर रहा है। सऊदी अरब का दावा था कि कोरोना महामारी के कारण वह संघर्ष विराम कर रहा है। मगर दो दिन बाद ही सऊदी अरब ने संघर्ष विराम का उल्लंघन शुरू कर दिया। तो संघर्ष विराम की घोषणा का एक ही मक़सद था कि सऊदी अरब को हारी हुई लड़ाई में सौदेबाज़ी के लिए कोई अच्छा तुरुप का पत्ता मिल जाए। युद्ध में सऊदी अरब यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन को कमज़ोर नहीं कर पाया अब उसकी कोशिश है कि किसी और तरीक़े से अपनी स्थिति मज़बूत करे।
हालिया महीनों में सऊदी अधिकारी यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रतिनिधियों ने ख़ुफ़िया अप्रत्यक्ष वार्ता कर रहे हैं। इस बीच सऊदी अरब ने अपने हमले भी कुछ कम किए। वैसे इसका कारण यह था कि सऊदी अरब की बमबारी का यमन की ओर से भरपूर जवाब दिया जाने लगा है। अगर सऊदी अरब सनआ पर बमबारी करता है तो यमन के मिसाइल रियाज़ पर जाकर गिरते हैं।
यमन के टीकाकार अब्दुल ग़नी अरयानी का कहना है कि सऊदी अरब यमन युद्ध से निजात पाना चाहता है और इसके लिए उसने कोरोना वायरस का कार्ड खेलने की कोशिश की है। मुहम्मद बिन सलमान ने यमन युद्ध शुरू तो कर दिया मगर अंसारुल्लाह आंदोलन और यमनी सेना की ओर से इतना शक्तिशाली प्रतिरध सामने आया कि सऊदी अरब के सारे सपने चकनाचूर हो गए। अब बिन सलमान यमन युद्ध को दलदल के रूप में देख रहे हैं।
अंसारुल्लाह के मिसाइल और ड्रोन हमलों ने सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों को भारी नुक़सान पहुंचाया और इस देश की स्थिरता पर सवालिया निशाना लगा दिया। सऊदी अरब जी-20 के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करना चाहता है और उसकी कोशिश है कि जिस तरह इस्राईल ने हमास को ग़ज़्ज़ा में घेर लिया है उसी तरह सऊदी अरब अंसारुल्लाह को सअदा और सनआ में घेर ले। मगर अंसारुल्लाह ने सऊदी अरब के भीतर क़रीब और एक हज़ार किलोमीटर दूर स्थित शहरों पर मिसाइल बरसा कर बिन सलमान की योजना पर पानी फेर दिया। इसलिए बिन सलमान अब कोशिश में लग गए हैं कि अंसारुल्लाह से कोई समझौता हो जाए।
अंसारुल्लाह को हालात की पूरी जानकारी है इसलिए उसकी ओर से दो टूक शब्दों में कहा गया है कि संघर्ष विराम का कोई अर्थ नहीं है अगर नाकाबंदी समाप्त नहीं होती तो संघर्ष विराम का कोई फ़ायदा नहीं है। अंसारुल्लाह ने कहा है कि सऊदी अरब को हर्जाना भी अदा करना पड़ेगा क्योंकि उसने युद्ध थोप कर यमन को भारी नुक़सान पहुंचाया है। इसके साथ सनआ सरकार को सऊदी अरब की ओर से मान्यता भी देनी पड़ेगी।
अंसारुल्लाह ने युद्ध में अपनी मज़बूत स्थिति को सामने रखते हुए सऊदी अरब को अपनी तीनों शर्तें बता दी हैं साथ ही यह भी कह दिया है कि अगर सऊदी अरब ने यह शर्तें न मानीं तो सऊदी अरब के भीतर महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर बड़ा हमला किया जाएगा।
टीकाकार यह मानते हैं कि अंसारुल्लाह के पास सऊदी अरब के भीतर हमले की सटीक योजना और योजना पर अमल करने की उपयोगी स्ट्रैटेजी मौजूद है।