ईरान दुश्मनी में आगे आगे रहने वाले अरब देश अब ईरान की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाने में भी आगे क्यों हैं?
समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ
कोरोना वायरस महामारी के दौरान विश्व स्तर पर अमरीका और यूरोप की सिमटती हुई भूमिका को देखते हुए कई देशों ने अपने पुराने दुशमनों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है।ऐसे देशों में संयुक्त अरब इमारात (यूएई) का नाम ख़ास तौर पर लिया जा सकता है, जिसने मौजूदा और महामारी के बाद के हालात को भांपते हुए ईरान से अपने मतभेदों को दूर करने की पहल कर दी है।यूएई के इस क़दम से कई लोग हैरान हैं, इसिलए कि ईरान के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी में तो कहीं कहीं अबू-धाबी ने रियाज़ को भी पीछे छोड़ दिया था और सीरिया और यमन जैसे देशों में खुलकर ईरान के समर्थकों का विरोध करने में वह सबसे आगे था।
2010 के बाद से यूएई, ईरान के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार और अमरीकी तथा इस्राईली नेटवर्क का केन्द्र बना हुआ था। लेकिन क्षेत्र में अमरीकी गठबंधन को मिलने वाली एक के बाद एक हार और दिन प्रतिदिन ईरान की मज़बूत स्थिति ने अबू-धाबी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब वह अमरीका के सहारे ईरान का विरोध जारी नहीं रख सकता है।यूएई के बदलते रूख़ की एक दूसरी वजह यमन युद्ध में सऊदी सैन्य गठबंधन की पराजय है। अबू-धाबी ने इस युद्ध में अपना बहुत कुछ दांव पर लगा रखा था और वह यमन के कई महत्वपूर्ण इलाक़ों पर क़ब्ज़ा करना चाहता था,लेकिन युद्ध में अंसारुल्लाह आंदोलन की मज़बूत स्थिति ने हमलावरों के सपनों पर पानी फेर दिया।
ख़ास तौर पर पिछले साल यमनियों द्वारा सऊदी तेल कंपनी अरामको के प्रतिष्ठानों पर भीषण हमलों के बाद तो रियाज़ और अबू-धाबी सहम गए। यूएई को उम्मीद थी कि इसके बाद अमरीका, ख़ामोश नहीं बैठेगा और ईरान पर हमला ज़रूर करेगा, लेकिन वाशिंगटन की ख़ामोशी ने उसे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि ईरान के ख़िलाफ़ सैन्य शक्ति के बल बूते कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
अबू-धाबी की ईरान को लेकर नीति में बड़े बदलाव का एक कारण, तेहरान के बारे में वाशिंगटन की रणनीति का फ़ेल हो जाना है। ईरान के प्रति यूएई की नीति को हम इस वास्तविकता से भी समझ सकते हैं कि अगर आप उन्हें हरा नहीं सकते तो उनके दोस्त बन जाओ।
इस बीच कोरोना वायरस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में संयुक्त अरब इमारात ने ईरान की सहायता करके अमरीका के नेतृत्व वाले ईरान विरोधी गठबंधन को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अबू धाबी, तेहरान के साथ दुश्मनी नहीं बल्कि उसके साथ सहयोग चाहता है।
कोविड-19 महामारी के बाद उभरने वाली रूस, चीन, और ईरान के त्रिकोण की महा शक्ति को देखते हुए अबू धाबी इसका भरपूर फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहा है।