उच्च न्यायालय इलाहाबाद को संबोधित पत्र में अधिवक्ताओं ने कहा अधिवक्ता की मृत्यु पर हड़ताल न करने का आदेश जारी करना शर्मनाक है

मुकीम अहमद अंसारी ब्यूरो चीफ एसएम न्युज 24 टाइम्स बदायूं

सहसवान। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश दिनांक 7-8-2024 के विरोध में अधिवक्तागण न्यायिक कार्य से विरत रहे। बार एसोसिएशन सहसवान ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद से अपने आदेश पर पुनः विचार कर वापस लेने का अनुरोध किया है।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद को संबोधित पत्र में अधिवक्ताओं ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा अधिवक्ता की मृत्यु पर हड़ताल न करने का आदेश जारी करना शर्मनाक है। अधिवक्ता संघ या बार एसोसिएशन बिना किसी उचित कारण के कार्य से विरत नहीं रहते हैं। एसोसिएशन के सदस्यगण न्यायिक कार्य के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। क्योंकि यदि वह कार्य नहीं करेंगे।तो वादकारियों का हित प्रभावित होगा और न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। अधिवक्तागण एक दूसरे के सुख दुख में शामिल रहते हैं। क्योंकि सभी आपस में भावनात्मक रूप से जुडे रहते हैं। ऐसी स्थिति में किसी साथी अधिवक्ता का स्वर्गवास हो जाता है तो परिवार के एक सदस्य के न रहने से वह शोक संतप्त हो जाता है और वह अपने साथी के सभी संस्कारों में शामिल होने का प्रयास करता है।


अधिवक्ताओं ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश से ऐसा प्रतीत होता है कि अधिवक्तागणों को न तो अभिव्यक्ति की कोई स्वतंत्रता है और न ही उनकी कोई भावनाऐं हैं। जिसको लेकर आज अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहे और हाईकोर्ट के आदेश के प्रति अधिवक्ताओं में आक्रोश नजर आया। इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता मुजफ्फर सईद , जितेंद्र सिंह यादव, श्याम कुमार गुप्ता,कलीमुल रहमान नकवी, श्याम बाबू सक्सैना,रागिव अली खां,नेम सिंह यादव, अनेक पाल सिंह, जावेद एहसन, सरफराज अली, सत्यभान सिंह, महावीर सिंह यादव, सोमवीर सिंह, आदि ने अपने विचार रखे।

मुकीम अहमद अंसारी ब्यूरो चीफ एसएम न्युज 24 टाइम्स बदायूं

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