लोहिया और दीन दयाल की वैचारिकी से निकाला महासंघ का हल: राजनाथ
शमीम अंसारी बाराबंकी एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी
जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयन्ती पर गांधीवादी अध्येता ने साझा किए विचार
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बाराबंकी। एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर बुधवार को गांधीवादी अध्येता राजनाथ शर्मा ने उनके साथ बिताए संस्मरण को साझा करते हुए उन्हें याद किया। श्री शर्मा ने बताया कि साल 1965-66 में प्रखर समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया के निर्देश पर जनसंघ अध्यक्ष पं दीन दयाल उपाध्याय से मिला। डॉ लोहिया और दीन दयाल उपाध्याय ने एक मत होकर भारत और पाकिस्तान के बीच महासंघ बनाने बात कही। यह घटना 12 अप्रैल 1964 की है। जब डॉ लोहिया और दीन दयाल उपाध्याय के बीच भारत पाक महासंघ पर संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ। इस ऐतिहासिक घटना के बाद डॉ लोहिया भारत पाक महासंघ की मुहिम को तेज करना चाहते है। इस बात को जनता के बीच ले जाने का माध्यम उन्होंने मुझे बनाया। डॉ लोहिया के निर्देश पर बाराबंकी में दो दिवसीय भारत पाकिस्तान महासंघ बनाओ सम्मेलन आयोजित हुआ। जिस सम्मेलन का उद्घाटन पं दीन दयाल उपाध्याय को करना था। श्री शर्मा ने बताया कि जब वह दीन दयाल उपाध्याय से मिलने लखनऊ स्थित जनसंघ के दफ्तर पहुंचे तब वह अपने कपड़े धो रहे थे। उन्होंने फौरन मुझसे मुलाकात की और निमंत्रण स्वीकार किया। लेकिन उन्होंने कहा कि प्रयाग में महाकुंभ शुरू हो रहा है, जहां विश्व हिन्दू समागम में मुझे आमंत्रित किया है। लेकिन दीन दयाल जी प्रयाग से आ बाराबंकी नहीं सके। इसका बाद में उन्होंने खेद व्यक्त किया। बहरहाल, सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व जस्टिस पं. आनंद नारायण मुल्ला ने किया। जिसमें प्रमुख रूप से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. राम सागर मिश्रा, डॉ. ए.जे फरीदी, बाबू लाल कुशमेश आदि लोग शामिल हुए। वहीं सम्मेलन का समापन राज नरायण ने किया। श्री शर्मा ने कहा कि दीन दयाल उपाध्याय ने इसी साल एकात्म मानववाद की अवधारणा का प्रतिपादन शुरू किया। वह बहुत ही सादगी पसंद और वैचारिक व्यक्ति थे। उनका जीवन व वैचारिक दर्शन मानवता की सेवा की प्रेरणा देता हैं। इनकी प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी।शमीम अंसारी बाराबंकी एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी