दहेज उत्पीड़न के मामलों की आई बाढ़, फर्जी भी लगते हैं आरोप; SC ने दी नसीहत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई बार जो आरोप लगाए जाते हैं, उसके कोई सबूत तक नहीं होते, लेकिन उन्हें सजा मिलने लगती है। ऐसे ही एक मामले में महाराष्ट्र के एक शख्स को शीर्ष अदालत ने दहेज उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया।दहेज उत्पीड़न के मामलों में अकसर बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाए जाते हैं। इसलिए अदालतों को ऐसे मामलों की ढंग से पड़ताल करनी चाहिए क्योंकि पूरा परिवार अकसर इसकी सजा भुगतता है। उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान जेल में रहना पड़ जाता है। कई बार जो आरोप लगाए जाते हैं, उसके कोई सबूत तक नहीं होते, लेकिन उन्हें सजा मिलने लगती है। ऐसे ही एक मामले में महाराष्ट्र के एक शख्स को शीर्ष अदालत ने दहेज उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया। इस मामले में वह तीन सालों से जेल में था। इसके अलावा बीड़ में लैब असिस्टेंट के तौर पर वह जो नौकरी कर रहा था, वह भी चली गई थी।Chief Minister, Punjab उसे दहेज उत्पीड़न केस में दोषी करार दिया गया तो 23 नवंबर, 2015 को उसकी नौकरी ही चली गई थी। ट्रायल कोर्ट की तरफ से शख्स को दोषी करार देने के आरोप को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा, ‘हमारी राय है कि अदालतों को ऐसे मामलों पर पूरी जांच करनी चाहिए। इससे पूरा परिवार झेलता है और बढ़ा-चढ़ाकर लगाए गए आरोपों के चलते उन्हें सजा काटनी पड़ती है। यहां तक कि जो आरोप उन पर लगते हैं, उसके कोई सबूत तक नहीं होते।’

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