नाराज़ मुस्लिम देशों को मनाने में मोदी सरकार फ़िलहाल तो सफल हो गई, लेकिन क्या बीजेपी और आरएसएस अपना एजेंडा त्याग देंगे?
समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ
इस्लामोफ़ोबिया और मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत की उठने वाली लहरों ने दुनिया भर में ख़ासकर पश्चिम एशिया में नई दिल्ली की साख, उपलब्धियों और आर्थिक हितों पर पानी फेरना शुरू कर दिया है।पिछले कई दशकों के दौरान भारत और फ़ार्स खाड़ी के अरब देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक रिश्ते काफ़ी मज़बूत हुए हैं, विशेष रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इन संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति देखने में आई है।
यहां ख़ास बात यह है कि नई दिल्ली ने क्षेत्र में एक दूसरे के धुर विरोधी सऊदी अरब और ईरान तथा ईरान और इस्राईल के साथ संबंधों में एक संतुलन बनाए रखने की कशिश की। लेकिन केन्द्र में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार के गठन के बाद यह संतुलन किसी हद तक लड़खड़ा रहा है।