लॉकडाउन 4.0 में छूट ने बढ़ाया संकट, मरीज सवा लाख पार

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

फैल चुका है कम्युनिटी संक्रमण
अब भोपाल-इंदौर समेत 10 शहरों में सरकार कराएगी सर्वे, जानेगी हकीकत

नई दिल्ली। लॉकडाउन 4.0 में सरकारों की तरफ से दी गई छूट ने कोरोना का संक्रमण बढ़ा दिया है। पिछले 5 दिनों में मरीजों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। पिछले 24 घंटे में एक बार फिर 6 हजार से ज्यादा मरीज सामने आए हैं और 146 लोगों की मौत हुई है। लगातार बढ़ रही संख्या कम्युनिटी संक्रमण की ओर इशारा कर रही है। सरकार भी ऐसा मान रही है। इसीलिए उसने भोपाल-इंदौर समेत देश के 10 शहरों में सर्वे कराने का फैसला किया है। इस सर्वे में यह जाना जाएगा कि संक्रमण किस स्तर पर फैला है। हालांकि, सरकार का यह भी दावा है कि नए केसों में गिरावट आई है, लेकिन उसके पास इस दावे का कोई आधार नहीं है।

नगालैंड में संक्रमित
राहत के साथ ही पूर्वोत्तर में कोरोना संक्रमण की संख्या बढ़ी है। नगालैंड जो भी तक ग्रीन जोन में था, वह भी कोरोना मरीज सामने आने लगे हैं। सोमवार को चेन्नै से लौटे तीन लोग यहां कोरोना संक्रमित पाए गए। इसी के साथ पूरे देश में मरने वालों की संख्या 4 हजार पार हो गई है जबकि 60 हजार लोग स्वस्थ हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,38,845 हो गई है, जिसमें से 77 हजार ही ऐक्टिव केस हैं। वहीं 4,021 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।

लॉकडाउन 4.0 के बाद कोरोना के नए केस
18 मई -4,628
19 मई-6,154
20 मई- 5,720
21 मई-6,023
22 मई- 6,536
23 मई-6,665
24 मई-7,111
25 मई-6,665
610 लैब में हर दिन 1.1 लाख सैंपल की जांच
आईसीएमआर ने बताया कि सरकार ने 2009 में फैले स्वाइन फ्लू से सीख लेते हुए जांच की संख्या बढ़ाई है। आईसीएमआर ने कहा कि देश में इस समय 610 प्रयोगशालाएं हैं जहां रोजाना 1.1 लाख नमूनों की जांच हो रही है। इनमें 432 प्रयोगशालाएं सरकारी और 178 निजी हैं। जांच क्षमता को 1.4 लाख नमूने प्रति दिन तक बढ़ा लिया गया है और इसे दो लाख प्रतिदिन की क्षमता तक बढ़ाया जा रहा है।
1 मई के बाद बढ़े केस
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक मई को सुबह आठ बजे अपने अपडेट में देश में संक्रमित रोगियों की कुल संख्या करीब 35,000 बताई थी। उस दिन तक 1,150 लोगों की मृत्यु हो चुकी थी। उस तारीख में 8,900 लोग सही हो चुके थे और 25,000 से अधिक लोगों का इलाज चल रहा था। तब से अब तक संक्रमित रोगियों की संख्या चार गुना हो गई है। मौत के मामले तीन गुना से अधिक बढ़ गये हैं और इलाज करा रहे रोगियों की संख्या में भी लगभग इतना ही इजाफा हुआ है। हालांकि सही हो चुके रोगियों की संख्या उस स्तर की तुलना में छह गुना से अधिक बढ़ गई है। भारतीय रेलवे ने एक मई से ही प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने के लिए विशेष श्रमिक रेलगाडिय़ां चलाना शुरू किया था।
80 फीसदी मामले पांच प्रदेशों से
बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली में लगातार संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, वहीं बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड में भी रोगियों की संख्या दूसरे राज्यों से विशेष ट्रेनों से प्रवासियों की वापसी शुरू होने से पहले दर्ज संख्या से दस गुना अधिक तक हो गयी है। नगालैंड में सोमवार को कोविड-19 के पहले तीन मामले सामने आए जहां चेन्नई से विशेष ट्रेन से लौटे दो पुरुषों और एक महिला में कोरोना वायरस संक्रमण का पता चला है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला जनवरी के आखिर में सामने आया था, लेकिन नगालैंड तब से संक्रमण से मुक्त रहा है।
तीसरे चरण में संक्रमण
सबके मन में डर बना हुआ है कि क्या भारत में कोरोना तीसरे चरण में पहुंच गया है? क्या भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है? यही पता लगाने के लिए भारत के 10 हॉटस्पॉट शहरों में सेरोसर्वे कराया जाएगा। इन 10 शहरों में पूरे देश में सबसे अधिक कोरोना के मरीज हैं। सर्वे के लिए भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और दूसरी एजेंसियों ने प्रोटोकॉल भी तैयार कर किए हैं। सबसे ज्यादा मामलों वाले 10 शहरों में मुंबई, दिल्ली, पुणे, अहमदाबाद, ठाणे, भोपाल, इंदौर, जयपुर, चेन्नई और सूरत शामिल हैं, जिनमें सेरोसर्वे कराया जाएगा।
24,000 लोगों की होगी जांच
इस सर्वे में 10 शहरों के अलावा देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 60 जिलों भी शामिल होंगे। इन जिलों का निर्धारण यहां की प्रति 10 लाख की आबादी पर संक्रमण के मामलों के आधार पर किया जाएगा। इन्हें चार कैटिगरी-जीरो, लो, मीडियम और हाई में बांटा गया है। आइसीएमआर का कहना है कि प्रत्येक कैटिगरी से 15 जिलों का चयन किया जाएगा और कुल 24,000 लोगों के नमूनों की जांच की जाएगी। इसको लेकर इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रोटोकॉल प्रकाशित हुए हैं।
नतीजों से तय होगा भारत का रुख
आईसीएमआर ने अपने बयान में कहा है कि हर जिले से 10 रैंडम क्लस्टर्स की पहचान की जाएगी और घरों से सैम्पल लेने शुरू किए जाएंगे। इस सर्वे के नतीजे बेहद अहम है। उनसे तय होगा कि भारत के लिए कोरोना से लड़ाई की दिशा क्या होगी।
आईसीएमआर ने कहा, फिजिकल डिस्टेंसिंग न होने की दर काफी अधिक
भारत में कोरोना मरीजों के लगातार बढ़ रहे मरीजों की बड़ी वजह क्लोज कॉन्टैक्ट है। आईसीएमआर का दावा है कि करीबी संपर्क में आने से कोरोना वायरस के प्रसार की दर काफी अधिक होती है। ऐसे में फिजिकल डिस्टेंसिंग, पर्सनल हेल्थ और इंफेक्शन कंट्रोल जैसे कदम महामारी के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी हैं। बता दें कि पिछले 24 घंटे में देश में 7 हजार मामले सामने आए हैं, जो अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। अध्ययन में इटैलियन पर्यटकों में संक्रमण के पहले क्लस्टर में सामने आए तथ्यों को साझा करते हुए आईसीएमआर ने यह भी कहा कि लक्षण न दिखने वाले मामलों में संक्रमित के करीबी संपर्कों की जांच अहम है। आईसीएमआर ने इस बात पर जोर दिया कि महामारी के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए करीबी संपर्कों का पता लगाकर उन्हें आइसोलेट रखने के लिए काफी अहम है।

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