दिल्ली की ओर बढ़ा पाक से आया टिड्डी दल, हवा अनुकूल रही तो जल्द राष्ट्रीय राजधानी पर बोलेंगी धावा

प्रधान संपादक आलीमा शमीम अंसारी

नई दिल्ली। पाकिस्तान से आ रहे पंखों वाले नन्हें शैतान यानी टिड्डी दल जयपुर से दिल्ली की ओर कूच कर दिया है। लाखों-करोड़ों टिड्डी झुंड में पिंक सिटी जयपुर पर सोमवार सुबह-सुबह टूट पड़ी थीं। अगर हवा की गति उनके अनुकूल रही तो उन्हें दिल्ली पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। राष्ट्रीय राजधानी को अलर्ट पर रखा गया है, टिड्डी दल फिलहाल गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सक्रिय हैं। ये राज्य इस मुसीबत से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

 

आम तौर पर रेगिस्तानी टिड्डे जून से नवंबर तक पश्चिमी राजस्थान और गुजरात में दिखते हैं। लेकिन इस बार वे अप्रैल में ही दिखने लगे। तब केंद्रीय कृषि मंत्रालय के टिड्डी चेतावनी संगठन यानी लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गनाइजेशन (एलडब्ल्यूओ) ने इनकी मौजूदगी के बारे में बताया था। जो चीज और ज्यादा चिंता बढ़ा रही है वह यह है कि आम तौर पर ये टिडि्डयां या तो अकेले रहती हैं या फिर छोटे-छोटे समूहों में रहती है। इसका मतलब यह है कि इनका इस तरह विशाल झुंड में होना असामान्य है।

कीटविज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली भले ही शहरी इलाका है लेकिन यहां भी टिड्डियों का व्यापक असर दिख सकता है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी का 22 प्रतिशत इलाका ग्रीन कवर में है। ग्रीन कवर टिड्डियों के लिए खुराक का काम करेगा। एलडब्ल्यूओ के डेप्युटी डायरेक्टर केएल गुर्जर ने बताया अगर हवा की गति और दिशा अनुकूल रही तो अगले कुछ दिनों में टिड्डियों के दल दिल्ली की तरफ पहुंच जाएंगे। अभी हवा की गति उन्हें उत्तर दिशा की ओर कर रही है।

यमुना बायोडायर्वस्टी पार्क के कीटविज्ञानी मोहम्मद फैसल के मुताबिक, दिल्ली के हरित इलाकों (ग्रीन एरिया) पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। एक वर्ग किलोमीटर में फैला टिड्डियों का एक छोटा सा दल भी एक दिन में करीब 35 हजार लोगों के खाने के बराबर हरियाली को चट कर सकता है। फैसल ने आगे कहा कि अतीत में इन टिड्डियों की वजह से वॉटर सप्लाई और रेलवे लाइनें भी प्रभावित हो चुकी हैं। उनके हमले के बाद रेलवे ट्रैकों पर चिकनाई और फिसलन बढ़ गई जिसके बाद उन्हें साफ करना पड़ा। उन्होंने बताया कि एक अकेली टिड्डी 500 तक अंडे देती है लिहाजा हमें न सिर्फ टिड्डियों के दलों को रोकना होगा बल्कि उनकी ब्रीडिंग को भी रोकना जरूरी है।

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