किसी की मदद करो उसे भुल जाओ तभी सच्चे मुसलमान कहलाओगे: नाईम सिद्दीकी

केसरवा मे धूमधाम से मनाया गया मोहम्मद व इमाम सादिक का जन्मदिन


बाराबंकी। ग्राम केसरवा सादात मे फिरोज हैदर के अजाखाने मे 17 रब्बीवल मोहम्मद मुस्तफा (स व) व इमाम जाफर सादिक (अस) की यौमे विलादत धूमधाम से मनाया गया। जिसमे हिन्दुस्तान के मशहूर शायरो ने अपना कलाम पेश किया। महफिल को मौलाना सिराज अहमद ने सम्बोधित करते हुये कहा कि इंसान अपनी जुबान के नीचे छुपा हुआ है इंसान के किरदार से ही पता चल जाता है। मौलाना ने कहा कि मोहम्मद मुस्तफा (स.व.) किसी एक फिरक के नही है बल्कि पूरी दुनिया के है। उन्होंने बताया महफिल मे जो आता है वो मेजबान का मेहमान नही होता है बल्कि जिसकी महफिल हो रही है उसका मेहमान होता है। मौलाना सिराज ने इमाम जाफर सादिक (अस) की जिन्दगी पर रोशनी डालते हुये कहा कि इमाम ने अपनी पूरी जिंदगी इस्लाम को सवारने मे लगा दिया। समाजसेवी नाईम सिद्दीकी ने महफिल को खिताब करते हुये कहा कि अल्लाह अगर किसी की मदद करना चाहता है तो किसी को जरिया बनाता है इन्सान की हैसियत नही है की किसी को कुछ दे सके। उन्होंने आगे कहा जब यजीद मालुन ने इमाम हुसैन से बेय्यत माँगा तो इमाम हुसैन ने यजीद की बेय्यत को ठुकराकर दुनिया को बता दिया की हक कभी बातील के आगे नही झुकता। श्री सिद्दीकी ने बताया की तुम अगर किसी की मदद करो और उस मदद को भूल जाओ तभी तुम सच्चे मुसलमान कहलाओगे। इमामे सज्जाद वेलफेयर सोसाइटी व दरगाहें आलिया नजफे हिन्द जोगीपुरा चेयरमैन सय्यद मुजाहिद हुसैन नकवी का मौलाना सिराज अहमद और मौलाना कमेल अब्बास ने फूल माला व शाल पहनाकर स्वागत किया। इनके अलावा कमेटी के सादिक हुसैन “सभासद”, असद रिजवी को भी सम्मानित किया गया। गुलपोशी के बाद महफिल का दौर शुरू हुआ कार्यक्रम का सचालन सुहेल अलमपुरी ने की। शायर कामरान फैजाबाद ने पढ़ा ए आशूर की शब जरा ठहर जा जरा, मुकद्दर हूर का फैसला कर रहे है स गौहर मेहंदी ने पढ़ा जिसने ईजाद की है नाते नबी, उसको ही काफिर बता रहे है लोग। मुसाब्बिर जैदी जैदपुरी ने पढ़ा दीवाना कह रहा है फराजे सलीब से, जहनो को पाक कीजिये जिक हबीब से मुसाब्बिर जैदी का ये शेर सबसे ज्यादा पसन्द किया गया, फजा मे जो गूँजी सदा मोहम्मद की उठो सगरेजा, ये हकीकते जली है कोई शायरी नही है जो तेरे बगैर गुजरे वो तो जिन्दगी नही। इनके अलावा अयान रिजवी, अदनान रिजवी, मोहम्मद मेजियार, मोहम्मद अब्बास, अली, फराज, इबाद, जफरुल हसन, मोहम्मद हुसैन, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद सादिक ने भी पेशख्वानी की। अंत मे केसरवा के इमामे जुमा मौलाना कुमेल अब्बास ने एक ही तारीख मे दो मासूम की विलादत हुई है एक मोहम्मद मुस्तफा (स.व.) ओर इमाम सादिक (अस) की वो दिन था 17 रब्बीवल स मौलाना ने कहा जो झूठा होता है वो मर जाता है जो सच्चा होता है वो मर कर भी जिन्दा होता है। उन्होंने आगे बताया की उस वक्त दौरे जिहालियत अरब मे लोग मोहम्मद मुस्तफा को जाहील, दीवाना काहील का इल्जाम लगाते थे लेकिन मोहम्मद मुस्तफा ने उन जाहीलो का बड़े ही सलीके से जवाब देते रहे आखिर मे जो मोहम्मद साहब को झूठा बता रहे थे वही लोग मोहम्मद साहब के हाथो पर ईमान ले आये। इस मौके पर अजीज हसन, मंजूरुल हसन, तसव्वार मेहंदी, हसन रजा, शकील हैदर, जमीर हैदर, शुवेब रजा आदि लोग मौजूद रहे स अंत मे फिरोज हैदर ने महफिल मे आये मोमिनो का शुक्रिया अदा किया।

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