अमरीकी साम्राज्य ध्वस्त हो चुका और इसका श्रेय भी ट्रम्प को जाता है जिन्होंने अमरीका की हक़ीक़त से पर्दा हटाया और अपनी मूर्खता का लोहा मनवाया! कुछ लोग उनकी विजय की दुआ क्यों कर रहे हैं?
समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ
कोरोना वायरस ने अगर कुछ अच्छे किए हैं तो उनमें एक यह है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में अमरीका की असली हक़ीक़त खोल दी है। अब दुनिया इस महामारी से निपट रही है लेकिन अमरीका के नेतृत्व में नहीं बल्कि दुनिया को किसी नए नेतृत्व की तलाश है और इस प्रतिस्पर्धा में चीन सबसे आगे है।
सबसे बड़ा सुबूत यह है कि यूरोपीय संघ ने वर्चुअल शिखर बैठक की तो उसमें राष्ट्रपति ट्रम्प शामिल नहीं हुए। बैठक में महामारी से निपटने के संबंध में महत्वपूर्ण फ़ैसले किए गए और आठ अरब डालर की रक़म एकत्रित करने पर सहमति बनी।वीडियो कान्फ़्रेन्स के माध्यम से आयोजित होने वाली बैठक ने साबित किया कि हालात बिल्कुल बदल गए हैं।अमरीका फ़र्स्ट की नीति, कोरोना से निपटने में वाशिंग्टन की भारी विफलता, नागरिकों को आर्थिक पैकेज देने में अपेक्षा पर पूरा न उतरना, यह सारे वह फ़ैक्टर हैं जिनके कारण दुनिया को एहसास हो चला है कि अमरीका के पास अब दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं रही है।अमरीका ने जर्मनी से 10 हज़ार सैनिक जर्मन सरकार की सहमति के बग़ैर निकाल लिए, उन्होंने नैटो को भी कमज़ोर किया और जापान और दक्षिणी कोरिया से भी अपने सैनिकों को बाहर निकाल लेने की धमकी दी है इसलिए कि ट्रम्प इन सैनिकों की मदद से मध्यपूर्व में कमाई कर रहे हैं और उनकी तैनाती के बदले अरब देशों से पैसे वसूल कर रहे हैं।
ट्रम्प नस्लवाद और वसूली के अलावा जो काम बहुत अच्छी तरह जानते हैं वह है प्रतिबंध लगाना अलबत्ता उन्होंने अमरीका के प्रतिबंधों को मज़ाक़ बनाकर रख दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने अमरीका की ओर से वरिष्ठ चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के जवाब में कहा कि हमें तो ट्रम्प की इस हरकत पर रहम आता है। इन लोगों पर प्रतिबंध लगाकर अमरीका क्या हासिल कर लेगा जिन्होंने कभी अमरीका जाने के बारे में सोचा ही नहीं और न उन्हें अमरीका से कोई दिलचस्पी है न ही अमरीका में उनके कोई बैंक खाते हैं जिन्हें अमरीका सील कर सके। प्रवक्ता ने कहा कि अमरीका की धौंस और धमकियां छापामार संगठनों जैसी हैं, सरकारों जैसी नहीं हैं।
हक़ीक़त यह है कि अमरीका की धौंस और धमकियों से दुनिया के देश अब थक चुके हैं और वह धीरे धीरे अमरीका से दूरी बनाने लगे हैं और चीन के आसपास घटक और साझीदार देशों की भीड़ जमा होने लगी है।अमरीकी अख़बार नेशनल इंटरेस्ट ने भी लिखा कि चीन ने अब चार हज़ार किलोमीटर की रेंज का क्रूज़ मिसाइल डेवलप कर लिया है जिसकी मदद से वह गुआम द्वीप में अमरीकी ठिकानों पर हमला कर सकता है और अमरीकी युद्धपोत उससे ध्वस्त किए जा सकते हैं। मतलब यह है कि वह विशालकाय विमानवाहक युद्धपोत जिन पर अमरीका को बड़ा घमंड था अब काग़ज़ की नाव बनकर रह गए हैं।अमरीकी साम्राज्य ध्वस्त हो चुका है और उसका वैज्ञानिक और आर्थिक वर्चस्व समाप्त हो चुका है और इसका श्रेय भी ट्रम्प को जाता है जिन्होंने अपनी नीतियों से अमरीका की हक़ीक़त से पर्दा हटाया साथ ही अपनी मूर्खता का भी लोहा मनवाया। इसी लिए कुछ लोग दुआ कर रहे हैं कि ट्रम्प एक बार फिर चुनाव जीत जाएं ताकि वह अपना विनाशकारी मिशन अच्छी तरह पूरा कर लें।
क्या हमारी नस्ल अमरीका और उसके घटक इस्राईल के ज़माने का अंत होता देखेगी? हम इसके लिए दुआ कर रहे हैं जो हमारे बस में है बाक़ी बातें ईश्वर बेहतर जानता है।