महाराष्ट्र में कुर्सी के लिए बेशर्म व्यापारी बने सियासतदान! देवेंद्र व अजित की हुई ताजपोशी, शिवसेना औकात में! एनसीपी पर टूट के बादल? कांग्रेस के सपने भी चकनाचूर। ठगी से रह गई महाराष्ट्र की जनता, शुचिता व विचारधारा तथा नैतिकता का बंटाधार!

कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी का चल रहा खरीद-फरोख्त का खेल थमता नजर आ रहा है! भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री व एनसीपी के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री की शपथ ले ली है ।शिवसेना औकात में है? एनसीपी पर टूट का डर है और कांग्रेस के भी सपने चकनाचूर हैं। पूरे घटनाक्रम में एक बात साफ दिखी कि महाराष्ट्र में कुर्सी के लिए सियासतदान देश के समक्ष बेशर्म व्यापारी बने नजर आए?

महाराष्ट्र में बीते 24 घंटों के दौरान ऐसी सियासी विचित्र उठापटक दिखी कि विपक्ष ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष भी चकरा कर रह गया। जब यह खबर आज सुबह आई कि भाजपा के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद तथा एनसीपी के अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं अथवा ग्रहण कर चुके हैं तो कई लोगों ने पहले इसे फेक न्यूज़ समझा । परंतु जब खबर सही निकली तो सभी ने दांतों तले उंगलियां दबा ली। इसके बाद तो महाराष्ट्र सहित पूरे देश में राजनीतिक चर्चाओं का भूचाल शिखर पर पहुंच गया। अभी कल शुक्रवार की ही तो बात है शिवसेना एवं एनसीपी तथा कांग्रेस महाराष्ट्र में सरकार बनाने को एक मत हुए थे। इसके तहत शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना था। लेकिन यह क्या हुआ सुबह होते ही श्री ठाकरे के दिल के अरमा आंसुओं में बह गए।

एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने अजित पवार पर निजी फैसला लेने का बयान दिया तो वहीं कांग्रेस भी सधी प्रतिक्रिया व्यक्त करती नजर आई। कुल मिलाकर महाराष्ट्र में अभी भी कुर्सी के लिए सियासी छीना झपटी, बेशर्म खरीद-फरोख्त के साथ जारी है? शक्ति प्रदर्शन, विधायकों को जोड़ना एवम तोड़ना ऐसे सारे अस्त्र चल रहे हैं! ऐसे में इस पूरे घटनाक्रम पर यदि कोई आहत है तो वह है महाराष्ट्र की आम जनता? हां सफल व असफल दलों के समर्थक जरूर खुश तथा मायूस है।

महाराष्ट्र में यदि राजनीतिक दलों की बात की जाए तो शिवसेना की हठधर्मिता सबसे पहले नजर आई। शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन मुख्यमंत्री हम बनेंगे की जिद में उसने 30 साल पुरानी दोस्ती भाजपा से तोड़ डाली। भाजपा ने भी उसे आखिर में कोई तवज्जो नहीं दी। शिवसेना को मुख्यमंत्री पद के लिए इतनी बेचैनी थी अथवा है कि वह एनसीपी और कांग्रेस के दरवाजे तक नाक रगड़ने पहुंच गई। बेचारे स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे जी की आत्मा अपनो की यह स्थिति देखकर कांप उठी होगी? शिवसेना ने अपनी विचारधारा को भी किनारे करने का मन बना डाला ।परंतु शायद वह यह समझने में भूल गई कि कांग्रेस और एनसीपी के नेता बड़े घाघ हैं! बेचारी शिवसेना आज उस महाराष्ट्र में औकात पर जा पहुंची है जहां यह दल दूसरे दलों को उसकी औकात अब तक दिखाता रहा है?

महाराष्ट्र में फिलहाल बाजी भाजपा ने हथिया ली है। भाजपा के दिग्गजों ने ऐसा चरखा दांव मारा है कि शिवसेना और एनसीपी तथा कांग्रेस सभी चित हो गए हैं। भाजपा के प्रहार से पवार के घर अजित पवार बगावत की बयार लेकर निकले हैं। शिवसेना मुख्यमंत्री पद का सपना ही देखती रह गई और आज सुबह जब हुई है तो पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री बन गए। भाजपा ने भी यह सब करने के दौरान शुचिता, वैचारिकता को तिलांजलि दे दी? उसने शिवसेना का मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं किया! हां धुर विरोधी एनसीपी का उपमुख्यमंत्री जरूर स्वीकार कर लिया?

बात करें यदि हम राष्ट्रवादी कांग्रेस की तो इसके नेता शरद पवार ने भी बड़े से बड़े करतब दिखाए !खूब बैठकी की। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से मिले !और तो और बेचारे मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले? लेकिन यहां तो पवार खानदान को घर के चिराग से ही आग लगनी थी ? भतीजे अजित ने चाचा शरद पवार को हाल की सियासी बाजी में पराजित कर दिया! अब तो शरद पवार के सामने पार्टी को बचाने का संकट है! भले ही चाचा पवार यह कहें कि भाजपा के साथ जाने का अजीत का फैसला निजी है एनसीपी का नहीं ! लेकिन वह आज अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात से इंकार नहीं कर पाए कि कितने विधायक उनके साथ हैं और कितने विधायक उनके बागी भतीजे के साथ!

दूसरी ओर कांग्रेस भी शिवसेना व भाजपा के गठबंधन के टूटने के बाद इतरा आ रही थी। उसके नेता भी सत्ता में बैठने का ख्वाब देख रहे थे लेकिन हाय री किस्मत सपने चकनाचूर हो गए।
इस पूरे घटनाक्रम में एक बात स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की जनता जरूर ठगी सी रह गई है! जिन मतदाताओं ने शिवसेना और भाजपा को सरकार बनाने के लिए अपने वोट दिए वह भी ठगे गए! जिन मतदाताओं ने एनसीपी और कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए वोट दिए वह भी ठगे गए! जिन मतदाताओं ने निर्दलीय विधायक बनाएं वह भी ठगे गए! क्योंकि यहां तो कुर्सी की खातिर राजनीतिक दल व नेता इतने खतरनाक व बेशर्म व्यापारी बने नजर आए कि उन्होंने मतदाताओं के मतों का भी सम्मान नहीं किया?

महाराष्ट्र में कोई भी राजनीतिक दल सीना ठोक कर यह नहीं कह सकता कि उसने जनता भगवान का पूर्णतया सम्मान किया है! सभी चिल्लाते हैं कि सरकार हम जनता के लिए बनाते हैं! लेकिन कोई भी सरकार जनता की अपेक्षाओं पर आज तक खरी नहीं शायद ही उतरी हो ? सरकार में शामिल लोग मलाई काटते हैं और जनता फिर 5 साल पूरे होने का इंतजार करती है । महाराष्ट्र में राजनीतिक दल कुर्सी के लिए ऐसे बेशर्म व्यापारी बने नजर आए। जिनकी सफलता व असफलता में बस एक ही चाह थी? जी हां मुझे कुर्सी चाहिए? किसी भी कीमत पर किसी भी तरह! बस मुझे कुर्सी चाहिए?????

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