तिलहनी फसलों के बीज उत्पादन के लिए 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ चित्र संख्या 01 व 02 तथा फोटो कैपशन
शमीम अंसारी बाराबंकी: एसएम न्यूज24टाइम्स .
बहराइच 08 सितम्बर। तिलहन भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत दुनिया में तिलहन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, और इस क्षेत्र में 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वैश्विक वनस्पति तेलों के उत्पादन में 07 प्रतिशत का योगदान भारत का है। तिलहनी फसलों के महत्व को देखते हुए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम के सभागार में गरीब कल्याण रोजगार अभियान अन्तर्गत तिलहनी फसलों के बीज उत्पादन हेतु 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए उप निदेशक कृषि डाॅ. आर.के. सिंह ने तिलहनी फसलों के बीज उत्पादन बढ़ाने हेतु उन्नत कृषि तकनीक, उन्नत बीज तथा फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की। डाॅ. सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को बीज उत्पादन के लिए आधारिय बीज का प्रयोग करने की सलाह दी। डाॅ. सिंह ने बताया कि वैसे तो बीज कई प्रकार के होते हैं जैसे प्रजनक बीज, आधारीय बीज प्रथम, आधारीय बीज द्वितीय, प्रमाणित बीज और विश्वसनीय बीज परन्तु बीज उत्पादन के लिए आधारिय बीज को सर्वाेत्तम बताया।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. एम.पी. सिंह ने तिलहनी फसलों के बीज बनाने की विधियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि उन्नतशील प्रजातियों के उच्च गुणवत्ता युक्त बीजों का टिकाऊ कृषि उत्पादन में उच्च स्थान है। नवीनतम प्रजातियों के प्रमाणित बीज ही उपलब्ध करा देने से उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। डॉ सिंह ने बताया कि गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन में स्वस्थ मृदा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। मृदा में सूक्ष्मजीवों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए हरी खाद, कंपोस्ट खाद, वर्मी कंपोस्ट इत्यादि का प्रयोग करने की आवश्यकता है। डॉ. सिंह ने मृदा नमूना लेने की विधियों, मृदा उर्वरता संरक्षण के लिए बरती जाने वाली सावधानियांे तथा जैव उर्वरकों के प्रयोग तथा हरी खाद के प्रयोग के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान की।
उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी जय कुमार सरोज ने फसल में लगने वाले रोगों एवं कीटों के नियंत्रण एवं फसल सुरक्षा के उपाय, बचाव एवं निदान के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण समन्वयक रेनू आर्या ने बीज का भंडारण एवं बीज प्रमाणीकरण के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। फसल अनुसंद्यान केन्द्र, बहराइच के अभिजनक डाॅ. एस.के. सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को बीज उत्पादन, बीज प्रसंस्करण एवं विपणन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान दी। प्रगतिशील कृषक शक्तिनाथ सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद 35 प्रशिक्षणार्थियों के साथ अपने अनुभवों को साझा किया।