बायोनिक आंखें’ दूर करेगी जीवन से अंधेरा

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

 मानव को लगाने की हो रही है तैयारी

मेलबर्न । ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने गहन शोध के बाद एक ‘बायोनिक आंख’ तैयार की है। इस आंख के जरिये लोगों को अंधेपन से छुटकारा मिल सकता है। अब इस आंख को मनुष्य के मस्तिष्क में सृजित करने की तैयारी चल रही है। शोधकर्ताओं ने एक ऐसी वायरलेस ट्रांसमीटर चिप तैयार की है, जो मस्तिष्क की उस सतह पर फिट की जाएगी। यह इन्सान के देखने की शक्ति का परीक्षण करती है। इसे जेनेरिस बायोनिक विजिन सिस्टम कहा जाता है, जो कि मस्तिष्क में फिट करने के बाद आसानी से देखने में मदद करता है। इसमें कैमरे के साथ एक हेडगियर फिट किया गया है, जो आसपास होने वाली हरकतों पर नजर रख सीधे मस्तिष्क से संपर्क करेगा। इस डिवाइस का साइज 9×9 मिलीमीटर है जो कि आकार में एक टाइलनुमा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘बायोनिक आंख मनुष्य के अंधेपन को कम करने में मददगार साबित होगी। इस आंख को बनाने में शोधकर्ताओं को 10 साल से भी ज्यादा का समय लगा है। अब वे इसे मनुष्य के मस्तिष्क में सृजित करने की योजना बना रहे हैं। शोधकर्ताओं ने इस डिवाइस को बड़े पैमाने पर बेचने के लिए भी फंड की मांग की है, क्योंकि वे इसका विस्तार विश्वस्तर पर करना चाहते हैं। यह दुनिया की पहली और एकमात्र ‘बायोनिक आंख’ है। बता दें कि बायोनिक आंख की शोधकर्ता टीम को बीते वर्ष एक मिलियन यूएस डॉलर की रकम दी गई थी। कहा जा रहा है कि यदि यह डिवाइस मनुष्यों में कारगार साबित हुई तो वे इसको बड़े पैमाने पर तैयार करेंगे। शोधकर्ता डॉ. ल्यूस का कहना है कि इस डिवाइस के सफल होने से हजारों-लाखों लोगों को दृष्टिदोष जैसी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। बता दें कि शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने 10 डिवाइस का ‘बिल्ट इंसर्शन सिस्टम’ के तहत भेड़ पर परीक्षण किया गया था। इनमें से 7 डिवाइस भेड़ के स्वास्थ्य को बिना नुकसान पहुंचाए तकरीबन नौ महीने तक एक्टिव रही थीं। इधर, कई ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक भी इस तरह की चिप बनाने के लिए वर्षों से मेहनत कर रहे हैं। वे मनुष्य के मस्तिष्क को चिप के जरिये कंप्यूटर से जोड़ने पर रिसर्च में जुटे हुए हैं। इसके लिए वैज्ञानिक एलोन मस्क ने एक चिप भी डिजाइन किया था जिसका उन्होंने हाल ही में सुअरों पर परीक्षण किया है। बता दें ‎कि मेडिकल साइंस दिनों-दिन तरक्की कर रहा है। दुनियाभर के हजारों शोधकर्ता रोजाना किसी न किसी बीमारी पर बड़े शोध को अंजाम दे रहे हैं।

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