क्रोध के ताप से सूख जाती हैं जीवन की खुशियां

क्रोध के ताप से सूख जाती हैं जीवन की खुशियां| गुस्से में आकर हम कई बार हम कोई ऐसा काम कर जाते हैं जिससे हमें जीवनभर पछताना पड़ता है। क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। इससे बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं। एक प्रसंग के जरिए आसानी से यह समझा जा सकता है कि गुस्सा जीवन की खुशियों को किस तरह सोख लेता है।

– बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। इसकी निर्णायक मंडन मिश्र की पत्नी देवी भारती थीं।

– हार-जीत का निर्णय होना बाकी था, इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिए बाहर जाना पड़ गया।

– जाने से पहले देवी भारती ने दोनों ही विद्वानों के गले मे एक-एक फूल माला डालते हुए कहा, ये दोनों मालाएं मेरी अनुपस्थिति मे आपकी हार और जीत का फैसला करेंगी।

– कुछ देर बाद जब देवी भारती वापस आईं तो उन्होंने बारी-बारी से दोनों की मालाओं को देखा और शंकराचार्य विजयी को विजयी घोषित कर दिया।

– यह फैसला सुनकर सब हैरान रह गए। एक विद्वान ने इस फैसले का कारण पूछा तो देवी भारती ने बताया कि – जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है तो वह गुस्सा हो उठता है।

– मेरे पति के गले की माला उनके क्रोध के ताप से सूख चुकी है, जबकि शंकराचार्यजी की माला पहले की भांति ताजी हैं। इससे ज्ञात होता है कि शंकराचार्य की विजय हुई है।

– देवी भारती ने कहा कि जिस तरह क्रोध से माला सूख गई, उसी तरह जीवन की खुशियां भी मुरझा जाती हैं। इसीलिए जीवन में गुस्सा करने से हमेशा बचना चाहिए।

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