कलयुग में नाम सुमिरन भक्ति का मुख्य आधार: लालता दास ब्रह्मलीन बाबा प्रेमदास कुटी पर श्री रामचरित मानस सम्मेलन का दूसरा दिन
सैफ़ अली संवाददाता थाना हैदरगढ़ की रिपोर्टर
हैदरगढ़ बाराबंकी। कलयुग में प्रभु के नाम का सुमिरन अथवा भजन भक्ति का मुख्य आधार है। जबकि मानव का कल्याण संतों की वाणी को आत्मसात करके ही हो सकता है। उक्त बात श्री 1008 महंत बाबा लालता दास जी महाराज ने आज ब्रह्मलीन संत बाबा प्रेमदास जी की कुटी पर आयोजित 10 दिवसीय श्रीरामचरितमानस सम्मेलन के दूसरे दिन कहीं। महंत श्री ने बताया कि श्री रामचरितमानस की प्रत्येक चैपाई अथवा प्रत्येक शब्द जीवन के आनंद में बढ़ोत्तरी करने वाला है। उन्होंने कहा कि मर्यादा एवं समर्पण तथा भक्ति व प्रभु नाम का सुमिरन कैसे किया जाए इसका संपूर्ण संदेश श्री रामचरितमानस में विद्यमान है। उन्होंने उपस्थित जनों का आवाहन किया कि वह श्रीरामचरितमानस को केवल बांचे नहीं बल्कि उसमें दिए गए संदेशों को अपने जीवन में उतार कर मर्यादित मानव के स्वरूप को संपूर्ण करें ।क्योंकि ईश्वर की बड़ी कृपा के बाद ही यह मानव तन जीव को मिलता है। मानस सम्मेलन में पंडित अजय शास्त्री ने भी अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि श्री रामचरितमानस ऐसा ग्रंथ है जिसके स्मरण एवं अध्ययन मात्र से मानव का कल्याण हो जाता है। महंत बाबा श्री राम तीरथ जी महाराज ने बताया कि प्रतिवर्ष होने वाला यह सम्मेलन आगामी 26 नवंबर तक चलेगा ।उसके बाद में 27 को भंडारे का आयोजन किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए यहां कार्यक्रम में शासन की गाइड लाइन के आधार पर व्यवस्थाओं को संपूर्ण किया गया है। मानस सम्मेलन में आज प्रमुख रूप से बाबा राम आधार, बाबा सालिगराम, बाबा भंडारी, महेंद्र मिश्रा, जितेंद्र कुमार, रोहित कुमार, अंजनी ओझा, पंडित अभयानंद शास्त्री, पंडित भगवती द्विवेदी, अधिवक्ता राजनारायण शुक्ला, मनोज कुमार, श्रीमती राजवती द्विवेदी, सुशीला मौर्य, गोकर्ण प्रसाद, लल्लन चैहान, गायत्री दीक्षित, उमाशंकर, बृजेश कुमार,हनुमान विश्वकर्मा सहित तमाम भक्तजन उपस्थित थे।
सैफ़ अली संवाददाता थाना हैदरगढ़ की रिपोर्टर