बाराबंकी। विकासखंड दरियाबाद की ग्राम पंचायत उटवा में किसानों ने मशरूम की खेती करके अपनी एक अलग पहचान बना लिया है। बताते चलें कि इस समय किसानों की फसल में छुट्टा जानवरों से काफी नुकसान हो रहा था इससे पूर्व किसानों ने 2 साल पहले से इस ग्राम पंचायत में मशरूम की खेती करना शुरू कर दिया जिससे किसानों को अपने बच्चों अपना सारा खर्च निकालने के अतिरिक्त कुछ लाभ भी हो जाता है जिधर धीरे-धीरे इस ग्राम पंचायत के किसानों का रुझान बढ़ता चला जाता है मशरूम की खेती में लागत की अपेक्षा उन्हें मुनाफा अधिक प्राप्त होता है। इस संबंध में जब मशरूम की खेती करने वाले किसानों से चर्चा की गई तो उन्होंने अपनी मिली-जुली प्रतिक्रियां व्यक्त किया। ग्राम उटवा निवासी संतोष वर्मा ने बताया कि मैं तीन बंगला मशरूम लगाता हूं जिसकी लागत करीब डेढ़ लाख रुपए आती है और जब मशरूम की फसल कटती है तो हम लोगों का खर्च निकाल कर के लाख डेढ़ लाख रुपए अलग से मुनाफे में बच जाता है जिससे हम लोग काफी संतुष्ट हैं। विनोद कुमार वर्मा ने बताया कि 3 माह की खेती से हम लोगों का साल भर का खर्च निकल आता है वही घुमंतू जाति के जानवरों से भी अन्य फसलों की अपेक्षा नुकसान कम होता है। इसके अतिरिक्त ग्रामवासी धर्मेन्द्र यादव ने बताया कि मशरूम की खेती करने से लागत के हिसाब से मुनाफा अधिक मिलता है मशरूम की खेती करते है उसमें से इतना पैसा मिल जाता है कि भौतिक वस्तुओं की खरीदारी करने का काम चल जाता है हमारे गांव के सभी किसान मशरूम की खेती से काफी खुशहाल दिखाई देते हैं एक दूसरे को देख कर के धीरे-धीरे अन्य गांव के अन्य किसानों ने भी अब मशरूम की खेती करने का अपना मन बना लिया है। यदि सरकार मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए थोड़ा प्रयास कर दे तो किसानों को अपनी आय दोगुनी करने में काफी हद तक सहायता मिल सकती है।
मामुन अंसारी जिला ब्यूरो बाराबंकी(एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)