सरकारी योजनाओं से गरीब वांछित, झोपड़ी में रहने को मजबूर अधिकारी प्रधानमंत्री के आदेश को कर रहे अनदेखी

सैफ़ अली संवाददाता थाना हैदरगढ़ की रिपोर्टर

हैदरगढ़ बाराबंकी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि वर्ष 2022 तक हर एक गरीब का पक्का आशियाना हो, जिसके लिए सरकार ने प्रयास भी तेज कर दिए है। लेकिन सवाल यह कि हर बार आखिर वास्तविक पात्र क्यों इस महत्वाकांक्षी योजना से वंचित रह जाते है या वे विकास विभाग के जिम्मेदारों व जनप्रतिनिधियों की गठजोड़ का शिकार हो जाते है या फिर चुनावी राजनीति की भेंट चढ़ जाते है। जानकार सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री आवास की चयन प्रक्रिया में भी बड़ा खेल होता है और यदि साहब की मुराद पूरी हुई तो आप पात्र है अन्यथा आपात्र की श्रेणी में डाल दिया जाता है। कुल मिलाकर प्रधान जिसे चाहे उसी को ही आवास का लाभ मिलता है भले ही क्यों ना वो आपात्र हो। उदाहरण के तौर पर स्थानीय विकास खण्ड की ग्राम पंचायत रानीपुर को ही ले लीजिए, जहां पर कई गरीब परिवार खरपतवार की झोपड़ी अथवा कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। जो पात्र होते हुए भी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित नहीं हो सके है और बेबस होकर कच्ची व खरपतवार की छोपड़ी में गुजर- बसर कर रहे है। उक्त गांव के रहने वाले रामचंद्र व शिव प्रसाद और राजेश रावत को अभी तक इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ पात्र होने के बावजूद भी नहीं मिल सका है। उक्त लोगों का कहना है कि साहब हमें आवास कहां से मिलेगा। क्योंकि हम गरीब है और इसीलिए चढ़ने वाला चढ़ावा नहीं दे सकते है इसी के चलते हर बार हमारा नाम सूची से बाहर कर दिया जाता है। अब देखना है क्या इन गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्की छत नसीब हो पाती है या नहीं? इसी तरह विकास खंड के और भी तमाम ग्राम पंचायतें है जहां पर वास्तविक पात्र आज भी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से वंचित है और मजबूरन खरपतवार की झोपड़ी व कच्चे मकान में गुजर- बसर कर रहे है।

सैफ़ अली संवाददाता थाना हैदरगढ़ की रिपोर्टर

 

 

 

 

 

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