संत कभी भी सांसारिक वस्तुओं का प्रलोभन नहीं देते: नीलम पाण्डेय कथावाचिक ने किया भरत मिलाप प्रसंग का व्याख्यान

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

मसौली बाराबंकी। श्री डिगम्बरनाथ मंदिर सिसवारा में चल रहे श्री रुद्रात्मक के आठवें दिन मध्य प्रदेश से आयी कथावाचिका नीलम पाण्डेय ने भरत मिलाप प्रसंग का व्याख्यान किया। प्रसंग सुन संगत भावविभोर हो गई। कथा का शुभारंभ गो पूजन से किया गया। नीलम पाण्डेय ने भरत मिलाप प्रसंग के अंदर छिपे रहस्यों को उजागर करते हुए कहा कि राजा दशरथ व कैकयी के पुत्र भरत न केवल प्रभु श्री राम के अनुज थे, अपितु उनकी अनन्य भक्ति व असीम श्रद्धा प्रभु श्री राम के चरणों में ठीक वैसे थी जैसे एक भक्त की श्रद्धा प्रभु के चरणों में होती है। अंत परमात्मा को केवल मात्र श्रद्धा व विश्वास से ही प्राप्त किया जा सकता है। कथावाचिका ने कहा कि संत कभी भी सांसारिक वस्तुओं का प्रलोभन नहीं देते। वह प्रभु का साक्षात्कार करवाते हैं। वह भली भाति जानते हैं कि संसारिक पदार्थ नश्वर है। स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि श्यदि तुम किसी भूखे को भोजन देते हो तो उसे फिर भोजन की जरूरत पडेगी। यदि किसी निर्वस्त्र को वस्त्र देते हो तो दोबारा वस्त्रों की जरूरत होगी, इसलिए यदि किसी को कुछ देना ही चाहते हो तो वह ब्रह्मा ज्ञान प्रदत्त करोश्, ताकि व्यक्ति आत्मिक रूप से ही संतुष्ट हो। इस मौके पर महाराज विनोदचार्य, पुजारी शिव कुमार वर्मा, ऋषि यादव सोहन लाल, बलराम कानौजिया, आत्माराम, राम शंकर मिश्रा, किशोरी वर्मा, मुन्ना गुप्ता, रमेश बाबू, राम नरेश, जगदीश  चैहान, पुष्पेंद्र वर्मा, राजेश वर्मा सहित तमाम भक्तगण मौजूद थे।
सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

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