पौधे भी समझते हैं प्रकाश के अलग-अलग रंगों को

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शोधकर्ताओं ने रहस्य को उजागर करने में पाई सफलता

कैलीफोर्निया । वैज्ञा‎निकों ने खुलासा ‎किया है ‎कि इंसान की तरह पौधे भी प्रकाश के रंगों को न केवल अलग तरह से समझते हैं बल्कि वे उन पर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया भी करते हैं। शोधकर्ताओं ने पौधे में क्रिप्टोक्रोम की भूमिका का पता लगाया है। कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस रहस्य को उजागर करने में सफलता पाई है। पौधो की रंगों के प्रति समझ के साथ उनके प्रति बर्ताव भी अलग होता है। इस अध्ययन में इन नए शोध ने दर्शाया कि पौधे नीले रंग के प्रकाश पर खास तौर से प्रतिक्रिया करते हैं।
शोध मे बताया है कि पौधें की नीले रंग के प्रति प्रतिक्रिया क्रिप्टोक्रोम-2 की संरचना से होती है। क्रिप्टोक्रोम-2 ऐसा अणु है जो नीले प्रकाश से प्रतिक्रिया करता है। कॉलेज ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेस में प्लांट बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर निट्जेन शाबेक की लैब में हुई इस शोध में इस प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है। प्रोफेसर शाबेक ने बताया कि पौधों का पास प्रकाश को पहचानने वाले अंग नहीं होते हैं जैसा की इंसान की आंखे होती हैं। फिर भी उनके पास निश्चित रिसेप्टर्सल की विविधता होती है जिससे वे हर एक फ्रीक्वेंसी को महसूस कर सकते हैं। ऐसे ही एक नीले प्रकश के फोटो रिस्प्टर्स को क्रिप्टोक्रोम कहा जाता है। जब क्रिप्टोक्रोम उस पर आते हुए फोटोन की पहचान करता है तो वह एक खास तरह की क्रियात्मक प्रतिक्रिया देता है। क्रिप्टोक्रोम शायद अरबों साल पहले पहले जीवित बैक्टीरिया में आए थे और वे अब बैक्टीरिया, पौधों और जानवरों में समान रूप से पाए जाते हैं। शाबेक ने बताया कि हमारी आंखों में भी क्रिप्टोक्रोम होता है जहां वे हमारे शरीर की आंतरिक घड़ी को कायम रखने की प्रक्रिया में कार्यरत रहते हैं। पौधों में क्रिप्टोक्रोम बहुत सारी अहम प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं जिसमें बीज से पौधे बनना, फूलों के खिलने का समय निर्धारण, और शरीर की आंतरिक घड़ी को कायम रखना कायम है। इसके बाद भी वैज्ञानिक इनकी फोटोकैमिस्ट्री, नियामन और प्रकाश के कारण संरचनात्मक बदलावों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जान सके हैं।

शाकेब की लैब ने अराबिडोप्सिस थालियाना नाम के पौधे में क्रिप्टोक्रोम 2 की क्रिस्टल संरचना का निर्धारण किया और पता लगाया कि इस अणु के प्रकाश की पहचान करने वाले हिस्से में बदलाव आ जाता है जब यह प्रकाश के कणों से प्रतिक्रिया करता है। प्रतिक्रिया करने के बाद यह एक ही ईकाई वाली संचरना से चार जुड़ी हुई ईकाई यानी टेरामर में बदल जाता है। शाबेक ने बताया कि यह पुर्नव्यवस्था प्रक्रिया फोटो इंड्यूस्ड ओलिगोमेराइजेशन कहलाती है। इसके साथ ही यह बहुत अजीब है क्योंकि प्रोटीन के अंतर के कुछ तत्वों में तब बदलाव आ जाता है जब ये नीले प्रकाश का सामना करते हैं। शाबेक के अनुसार उनकी आणविक संरचना सुझाती है कि प्रकाश जनित बदलाव पौधों में जीन की अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने वाले नियंत्रकों को छोड़ते हैं। शोधकर्ताओं ने लॉरेंस बर्केले नेशनल लैबोरेटरी की एडवांस लाइट सोर्स एक्स रे फैसिलिटी की मदद से क्रिप्टोक्रोम -2 संरचना पता लगा ली। शाबेक की लैब मौटे तौर पर यह अध्ययन करती है कि पौथे कैसे अपने वातावरण को आणविक से जैविक स्तर तक महूसस कर सकते हैं।

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