पुरुषों को होता है फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लिवर के कैंसर का सबसे ज्‍यादा खतरा

संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट एसएम न्युज24 टाइम्स 8004283330

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दादा-दादी, नाना-नानी को कैंसर है तो अगली पीढ़ी को कैंसर होने के चांस 10 फीसदी तक बढ़ जाते हैं

 

नई दिल्ली कैंसर शरीर के किसी भी अंग या ऊतक में शुरू होने लगती है और शरीर के अन्‍य अंगों में फैलती है। हर साल कम से कम 9.6 करोड़ लोगों की मृत्यु इसी से होती है। महिलाओं में स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, सर्वाइकल और थायराइड जैसे कैंसर आम होते हैं। वहीं, फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लिवर कैंसर पुरुषों में सबसे आम प्रकार हैं। हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर आम तौर पर मध्‍यम आयु वर्ग से लेकर अधिक उम्र के पुरुषों में सबसे ज्‍यादा होती है। प्रोस्टेट नामक ग्रंथि टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और वीर्य पैदा करती है। जब प्रोस्टेट में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होने लगती है और उसमें ट्यूमर बन जाता है जो यह प्रोस्‍टेट कैंसर कहलाता है। इससे मूत्र प्रणाली और इसके कार्यों में हस्तक्षेप पैदा होने लगता है। फेफड़े का कैंसर सबसे घातक किस्‍म का कैंसर है। वैसे तो यह स्‍मोकिंग करने वालों में ज्‍यादा होता है मगर यह उनमें भी हो सकता है जो धूम्रपान नहीं करते। इसके लक्षण तब दिखाई देते हैं जब बीमारी ज्‍यादा बढ़ जाती है। फेफड़ों के कैंसर के सामान्य लक्षणों में खांसी आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, आवाज बैठना, थूक में बदलाव और खून का जमाव है। आंत और मलाशय के कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहते हैं, जो मुख्य रूप से अधिक आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है।
यह फेफड़े के कैंसर के बाद दूसरा बड़ा कैंसर है जो दुनियाभर में होता है। इस कैंसर के लक्षणों में दस्‍त, कब्‍ज, पेट दर्द, बार बार शौंच जाना या उसकी इच्‍छा होना, मल में खून आना और वजन कम होने जैसे लक्षण शामिल हैं। दुनियाभर में कैंसर के जितने मामले सामने आते हैं, उनमें चौथी बड़ी बीमारी लिवर कैंसर होती है। आमतौर पर लिवर सिरोसिस के एडवांस्ड स्टेज में इसका पता चलता है। तब तक यह जानलेवा बन चुका होता है। लिवर कैंसर के लक्षणों में पीलिया, भूख में कमी और पेट दर्द शामिल हैं। शराब के सेवन को सीमित करने, नियमित रूप से व्यायाम करने, स्वस्थ खाने, वजन प्रबंधन और खुद को हेपेटाइटिस बी और सी वायरस से संक्रमित होने से बचाने जैसे उपायों से लिवर कैंसर का खतरा कम होगा। फैमिली हिस्ट्री पैरंट्स या दादा-दादी, नाना-नानी आदि को कैंसर हुआ है तो अगली पीढ़ी को कैंसर होने के चांस करीब 10 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि अगर मां या पिता को कैंसर हुआ है तो बच्चे को होगा ही।

 

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