… उसे शिकवा है आंगन में मेरे रोशनी क्यों है
नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211
बाराबंकी। नगर के मोहल्ला बड़ेल में स्थिति शाद बड़ेलवी के मकान पर मुशायरे का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता आदर्श बाराबंकवी ने की। तथा संचालन रेहान बाराबंकवी ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में साबिर नजर और नफीस बाराबंकवी उपस्थित रहे। शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम प्रस्तुत किये। आदर्श बाराबंकवी ने कहा-दर्दे बुनियाद भी हरदम जमीं दोश रहा, लोग खुश होते रहे देखके मीनारों को,, साबिर नजर ने पढ़ा-उजालों पर अमीरे शहर नें पहरे बिठाए हैं, उसे शिकवा है आंगन में मेरे रोशनी क्यों है,, नफीस बाराबंकवी ने कहा- तीर-ए-नजर का जख्म तो भरता नहीं कभी, ये इश्क का मरीज कहां तक दवा करें,, रेहान बाराबंकवी ने कहा-न ताजो तख्त न कोई खजाना चाहते हैं, खुदा के दर पे फकत सर झुकाना चाहते हैं,, शाद बड़ेलवी ने कलाम प्रस्तुत करते हुए कहा- न पहले भरा था न अब तक भरा है, मेरा जख्म ए दिल तो हरा था हरा है,, जाहिद बाराबंकवी ने कहा-लगा है फिक्र में कितने दिनों से वह भंवरा, शजर की शाख पर शायद गुलाब आ जाए,, डॉक्टर फुरकान ने यूं कहा-आप हमको अगर भूल जाएंगे जो, हम पर गुजरेगी क्या यह जरा सोचिए,, इनके अलावा रेहान रौनकी और तुफैल इदरीसी ने भी अपने कलाम पेश किए। मुशायरे में शमशुद्दीन अंसारी, गुड्डू, मोहम्मद अख्तर, मोहम्मद जैद मसूद, मोहम्मद अफसर और फजल मसूद आदि उपस्थित रहे।
नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211