कोहराम मचा है! अरे माननीय जी कहां है आप? कोरोना का हाहाकार जनमानस के लिए बना है आफत ?नेता गायब?
कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)
कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)
लोग दवा, ऑक्सीजन को परेशान है!पर सेवा का सपना दिखाने वाले रहनुमा दरबो में दुबके? चुनाव लड़े तो खूब घूमे अब तो दर्शन ही दुर्लभ है? सत्ता पक्ष की जमती नहीं विपक्ष की चलती नहीं? कुछ ऐसा है सियासी राग
कोरोना संक्रमण से लड़ने की मुहिम में डीएम व कप्तान तथा सीएमओ के भरोसे है बाराबंकी
बाराबंकी। जनपद में कोरोना का कहर इस बार कुछ ज्यादा ही जानलेवा साबित हो रहा है? अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए तड़प रहे हैं! दवा के लिए परेशान है! ऑक्सीजन के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं !इसके न मिलने मर रहे हैं? तो वही शमशान हो या कब्रिस्तान वहां पर लाशों की संख्या भी आम दिनों से आज ज्यादा दिखाई दे रही है। लेकिन चुनाव के समय चौखट दर चौखट घूमने वाले माननीय इस समय कहां है? यह सवाल आम जनता पूछती नजर आ रही है। जबकि माननीयों के लोगों का कहना है की माननीय जी जनता की सेवा में दिन रात एक किए हुए हैं?
बाराबंकी जनपद में इस दौरान कोरोना ने जिस प्रकार से अपना कहर बरपाया है उसने पूरे जनपद को भय में डुबोकर रख दिया है? इस बार इस वैश्विक महामारी ने तमाम लोगों को अकाल मौत प्रदान की है। फिलहाल जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श कुमार सिंह एवं पुलिस कप्तान यमुना प्रसाद तथा सी एम ओ बाराबंकी एवं पूरा प्रशासनिक अमला इस महामारी के तांडव से निपटने में लगा हुआ है। अस्पतालों में मरीजों की भीड़ है। तीमारदारों की बेचैनी है। यही नहीं गंभीर अवस्था में ऑक्सीजन को तरसते लोग हैं! तो वही दवा एवं ऑक्सीजन के अभाव में रुकती सांसों का क्रंदन भी है? हर तरफ बस भय है कि कहीं मौत मुझे आगोश में ना ले ले ?आम जनता को इस दौरान सरकार की सहायता की जरूरत है। तो वहीं विपक्ष के उत्साहवर्धन की भी आवश्यकता है। लेकिन पूरी इमानदारी के साथ यदि देखा जाए तो पूरे जनपद में कोई भी ऐसा एक नेता नजर नहीं आ रहा है जो लगातार आम जनता के साथ उसकी परेशानियों से जूझ रहा हो ?
जी हां यह कटु सत्य है सभी माननीय अथवा उनके लोग आम जनता की सेवा का नगाड़ा तो खूब तेजी से बजा रहे हैं। वह दावे भी खूब कर रहे हैं कि हम अपने क्षेत्र की जनता के लिए दिन रात एक किए हुए हैं ।लेकिन जब बीमार मरीज अथवा उसके परिजन या फिर उन मरीजों के तीमारदारों से वार्ता की जाती है तो उनका केवल एक दावा होता है! कि माननीय जी ने अगर गंभीरता से इंटरेस्ट लिया होता तो हमारे मरीज की हालत कुछ और होती? अभी रामसनेहीघाट में एक मरीज की ऑक्सीजन के ना मिलने से डेथ हो गई। यह कोई पहेली मौत नहीं है। ऑक्सीजन ना मिलने की वजह से जनपद में अब तक कई मौतें हो चुकी हैं? जिला प्रशासन इसके लिए पूरी तरीके से सक्रिय भी है लेकिन भ्रष्टाचार के जंतुओं ने इस आपदा में भी भ्रष्टाचार के अवसरों को खोज लिया है? स्वयं इसे जिम्मेदार अधिकारी भी मानते हैं? यही नहीं स्वयं बाराबंकी डीएम के निरीक्षण में भी ऐसी कमियां सामने आई है?
सवाल है कि वह नेता जो जनता का वोट पाकर जनता को भगवान कहकर विधायक बन गए? सांसद बन गए ?आज वास्तव में वह कहां हैं? इससे लेकर आम जनता में सवाल दर सवाल उत्पन्न है! अति विश्व सूत्रों का दावा है कि कोरोना के इस मौत रूपी काल में सत्ता पक्ष के लोग कुछ कर सकने की स्थिति में शायद उतने पारंगत नहीं है जितना आम जनता उन्हें समझ रही है? जाहिर है कि सत्ता पक्ष के माननीयों को सत्ता की हनक का साथ नहीं है? जबकि विपक्ष यह कह कर काम चला रहा है कि यदि मेरी सरकार होती तो हम बहुत कुछ करके दिखा देते? सियासत का यह राग तब जारी है जब अस्पतालों में भर्ती उपरोक्त वैश्विक महामारी से मरीजों की सांसे थम रही है ?जब लोग दवाओं के लिए परेशान हैं? जब लोग ऑक्सीजन के लिए परेशान हैं?
सवाल यह यह भी सामने आता है कि जनता के लिए क्या वह दिन अब चले गए जब उसका नेता सड़क पर उतर कर अथवा उससे कंधे से कंधा लगाकर उसकी परेशानियों के लिए जूझता था? आज तो बाराबंकी में ऐसे हालात हैं कि एक भाजपा विधायक के चेले चपाटे अपनी गाड़ी लेकर के ऑक्सीजन प्लांट पर जाते हैं। उसमें सिलेंडर भरवाते हैं और उसके बाद में सत्ता की हनक दिखाते हुए वहां से निकल लेते हैं। जबकि वहां सिलेंडर पाने को लेकर तमाम अन्य लोग भी खड़े रहते हैं। जिनका कोई अपना जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था? यही नहीं तमाम ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिसमें सिफारिशों ने भी दम तोड़ दिया है।
हालात यह है कि आज कई माननीय आम जनता से सीधे मिलने से कतरा रहे हैं? क्योंकि दावा है कि सत्ता पक्ष के कई माननीय अपनी जनता की सेवा करने को लेकर के पूरी तरह से गम्भीर नहीं है ?एक तरफ अस्पतालों में कोहराम मचा हुआ है दूसरी तरफ शमशान हो या कब्रिस्तान वहां पर अन्य दिनों की अपेक्षा लाशों का संख्या बल बढ़ा है? गांव में लोग भय के साए में है? ऐसे कई गांव है जहां पर अब तक कई मौतें हो चुकी हैं! शर्म तो तब आती है जब स्वच्छता अभियान के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन ऐसे तमाम गांव अथवा कस्बे हैं जहां पर हो चुकी कई मौतों के बाद ही सैनिटाइजर तक का छिड़काव ढंग से नहीं करवाया जा सका है? आम जनता पूछती है कि चारों तरफ मौत का बवंडर है! बीमारी का राज है! ऐसे में सभी को अपने नेता से आस है! लेकिन स्थिति यह है कि नेताजी दरबो में दुबक गए हैं? और नेताजी की जनता उनके इस व्यवहार से बिल्कुल निराश है? चुनाव दूर है लेकिन दिलों में टीस बैठती जा रही है? माननीय नेता जनता के सेवक मंच पर बने दिखाई देते हैं लेकिन आज जब जरूरत है कि वह जनता के साथ खड़े नजर आए तो वह गायब हैं? हां यह जरूर है कि कई माननीय अपनी जनता के लिए डॉक्टरों एवं अधिकारियों को फोन कर रहे हैं! कुछ तो ऐसे भी हैं जो लोगों को ऑक्सीजन एवं दवाई दिलवाने में प्रयासरत भी हैं? लेकिन एक नेता व जनता के बीच जो संबंध दिखाई देना चाहिए उसका दर्शन फिलहाल बाराबंकी में नजर नहीं आ रहा है। अधिकारी भी जो काम कर रहे हैं वह अपनी मनमानी एवं मर्जी से काम कर रहे हैं! कुल मिलाकर अस्पतालों में तड़पते मरीज हैं! रुकती सांसे हैं? श्मशान और कब्रिस्तान में बढ़ती लाशे हैं। ऐसे में लोग पूछ रहे हैं अरे माननीय जी कहां हैं? अरे कोई तो बताओ माननीय जी कहां हैं? अरे माननीय जी कहां है?कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)