ज़ायोनी सिर्फ़ ताक़त की ज़बान समझते हैं, इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता

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इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक वर्चुअल मुलाक़ात में इस बात पर ज़ोर देकर कि ज़ायोनी ताक़त की ज़बान के अलावा कुछ नहीं सझमते हैं, कहाः फ़िलिस्तीनियों को अपनी शक्ति और प्रतिरोध में वृद्धि करके, अपराधियों को आत्मसमर्पण करने और बर्बर कार्यवाहियों को रोकने के लिए मजबूर कर देना चाहिए।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने इस मुलाक़ात में अफ़ग़ानिस्तान और फ़िलिस्तीन में घटने वाली हालिया दो ख़ूनी घटनाओं पर गहरा दुख जताते हुए कहाः ईश्वर की लानत हो उन अपराधियों पर कि जिन्होंने पीड़ित मासूम अफ़ग़ान कलियों पर भी रहम नहीं किया और उनका नरसंहार किया और इन बच्चियों को शहीद करके अपराध को इस हद तक फैला दिया।

इसी प्रकार, मस्जिदुल अक़सा और फ़िलिस्तीन के दूसरे इलाक़ों में बर्बर और अत्याचारी ज़ायोनियों के अपराधों की निंदा करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहाः दुनिया भर के लोग इन अपराधों को देख रहे हैं, सभी को इनकी निंदा करके अपनी ज़िम्मेदारी अदा करनी चाहिए।

फ़िलिस्तीनियों के दृढ़ संकल्प का उल्लेख करते हुए आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहाः ज़ायोनियों को बल की भाषा के अलावा कुछ समझ में नहीं आता है, इसलिए फ़िलिस्तीनियों को अपनी शक्ति और प्रतिरोध में वृद्धि करके, अपराधियों को आत्मसमर्पण करने और बर्बर कार्यवाहियों को रोकने के लिए मजबूर कर देना चाहिए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस मुलाक़ात में विभिन्न छात्र संगठनों को देश के लिए एक महान अवसर बताते हुए कहाः कोरोना से मुक़ाबले के लिए युवाओं का आगे आना, अपमानजनक फ्रांसीसी पत्रिका, काबुल विश्वविद्यालय में विस्फ़ोट और फ़िलिस्तीन और यमन के मुद्दे जैसे अंतरराष्ट्रीय मामलों में सक्रिय उपस्थिति, एफ़एटीएफ़ मुद्दे पर अपना पक्ष रखना और परमाणु मुद्दे पर संसद के रणनीतिक बिल को मज़बूती प्रदान करना छात्र संगठनों के प्रंशसनीय क़दम हैं, इस तरह की क़दमों से छात्र संगठनों की पहचान भी मज़बूत होती है।

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