कूड़ा करकट खाएँ गाय, मलाई खाएँ गौशाला प्रभारी

अब्दुल मुईद

-भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी ‘‘गौशाला योजना’’

बाराबंकी। सरकार की मंशा को मातहत किस तरह से चूना लगाते हैं? तो आइए देखिए धरातल पर। इस महात्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार कैसे भेंट चढ़ गई है। बड़े-बड़े दावे करने वाले गौशाला रक्षक किस तरह से सरकारी धन को चूस रहे हैं। गौशाला के नाम पर सिर्फ पैसा डकारा जा रहा है गायों को खुले आसमान में कूड़ा करकट खाने के लिए छोड़ दिया जा रहा है। यहां तक गायों के बांधने का भी इंतिजाम गौशालाओं में नहीं किया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद में कई गांवों में प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गौशाला योजना चल रही है जो सिर्फ कागजांे तक ही सीमित है। वास्तविता देखना है तो आप खुद कागजों पर चल रही गौशाला को देखिए, कागजों पर सैकड़ों गायों का पंजीकरण व इण्ट्री है जब आप गौशाला का निरीक्षण करेंगे तो वहां से गाये नदारत है वह गाये खुले आसमान में कूड़ा करकट खाने के लिए मजबूर हैं। गौशाला खोलने का मुख्य उद्देश्य सरकार के द्वारा यह बताया जा रहा है कि किसान गोवंश और अन्य आवास पशुओं द्वारा फसल खराब करने का शिकायत करते रहते हैं। जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौशाला खोलने का यह बड़ा निर्णय लिया था। इसके माध्यम से बेरोजगार को कमाई का भी मौका मिलेगा, साथ ही किसानों को गोवंश द्वारा फसल बर्बादी से होने वाली क्षति से भी छुटकारा मिल जाएगा।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विधायकों ने मुख्यमंत्री को सूचित किया था कि राज्य भर में आवारा पशु, विशेषकर गाय और बैल, खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इनकी वजह से अधिक सड़क दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। मुख्यमंत्री ने आवारा पशुओं की रक्षा के लिए योजना को धरातल पर लागू करने के आदेश दिया। सरकार द्वारा यह भी कहा गया था कि मवेशियों का उत्पीड़न न हो। गायों और बैलों की रक्षा के लिए योजनाओं पर एक ब्लॉक आधारित रिपोर्ट भी मांगी थी। सरकार की नई पहल के अलावा, प्रत्येक ब्लॉक को लिखा गया था कि स्थानीय अधिकारियों (बीडीओ) से गौशालाओं और चराई के लिए व्यवस्था तैयार करने के लिए कहा था। सरकार का यह भी आदेश था कि उन ब्लॉकों को पुरस्कृत करेंगे जो गायों की रक्षा के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। सरकार ने यह फैसला एक ऐसे समय पर लिया था जब विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार इंसानों की तुलना में गायों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।
शासन से दिशा निर्देश मिलने के बाद आवारा पशुओं को संरक्षण दिलाने की मुहिम शुरू हो गई है। अवैध कटान को रोकने के लिए शासन ने बड़े स्तर पर जनपद में गौशाला खोलने के निर्देश जारी किये थे। इसके बाद पशुपालन विभाग लोगों को गौशाला खोलने के लिए प्रेरित करने में लगा है। विभाग के मुताबिक गौशालाओं में आने वाली गायों की देखरेख के लिए पशुपालन विभाग के माध्यम से शासन, गौशाला संचालकों को अनुदान देगा। प्रदेश में गऊ रक्षा पर सख्त कानून भी लागू करने शुरू कर दिए है। एक तरफ जहां अवैध कटानों पर अंकुश लगा दिया है। वहीं सड़कों पर आवारा घूमते पशुओं को संरक्षण दिलाने की मुहिम शुरू हो गई है। विभाग के मुताबिक जो व्यक्ति गायों को पालने के लिए गौशाला शुरू करेगा उसे सरकार की तरफ से प्रति गाय के हिसाब से 50 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही गायों के बच्चों के लिए 25 रुपये के हिसाब से अनुदान गौशाला संचालकों को मिलेगा। नई गौशालाओं में लोगों ने अपनी रुचि दिखाई तो शहर में आवारा पशु नहीं दिखेंगे। विभाग के माध्यम से आवारा घूमती गायों को नई गौशालाओं में भेज दिया जाएगा।
विभाग के मुताबिक जिले में चल रही गौशाला में शासन स्तर से गायों की देखभाल के लिए गौ संचालकों को सहायता राशि दी जा रही है। इसी राशि को हड़प करने का खेल तरह-तरह से खेला जा रहा है। पंजीकरण के नाम पर सैकड़ों गायों की इण्ट्री है पर गौशाला में एक भी गाय सुरक्षित नहीं है, गायों को उचित चारा नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है यहां तक कि गायों को खुले आसमान के नीचे रात बिताने के लिए छोड़ दिया जाता है। गायों की देखभाल के लिए मिलने वाली राशि को गौशाला रक्षकों द्वारा हड़पा जा रहा है। कहीं कही तो गाये गौशाला में न होकर रोड पर टहल रही होती हैं उनके कानों में पंजीकरण का टैग भी लगा है लेकिन वह मजबूर होकर कूड़ा करकट खा रही हैं।
अब देखना है कि सरकार की महात्वाकांक्षी योजना को जिम्मेदार इसी तरह से चूना लगाते रहेंगे और खुद गायों का चारा खाते रहेंगे या सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम उठाया जायेगा।

Don`t copy text!