सर्वनाश के कुचक्र में फंसा सार्वजनिक इंटर कॉलेज ?

कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)

फीकी पड़ी शिक्षा की चमक! अव्यवस्थाओं ने बढ़ाई कालिमा

कॉलेज की दुर्गति जिम्मेदारों के दावों की उड़ा रही है धज्जियां

बाराबंकी। कभी हैदरगढ़ शिक्षा क्षेत्र का मुकुट कहा जाने वाला कस्बे में स्थापित सार्वजनिक इंटर कॉलेज आज दुर्गति का शिकार है। हालात संकेत देते हैं कि इस कालेज के सर्वनाश में इसके जिम्मेदार ही जुटे हुए हैं? यहां शिक्षा की चमक फीकी पड़ी है! तो वही अव्यवस्थाओं की कालिमा ने अपना काला साम्राज्य स्थापित कर रखा है?

हैदरगढ़ नगर के बुजुर्गों ने एक समय सार्वजनिक इंटर कॉलेज की स्थापना इसलिए की थी कि इस शिक्षा संस्थान में उनकी आने वाली पीढ़ियां पढ़कर देश का जिम्मेदार नागरिक बनेंगी।ऐसे में जब सार्वजनिक इंटर कॉलेज की शिक्षा यात्रा आगे बढ़ी तो इस शिक्षा संस्थान ने एक से बढ़कर एक उपलब्धियां भी हासिल की। पूर्व के मध्य में यहां प्रधानाचार्य बनने के लिए खींचतान हुई लेकिन फिर भी कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था पर कभी भी कोई असर नहीं पड़ा। खैर आज तो हालात वैश्विक महामारी कोरोना के हवाले हैं । इसलिए इसकी आड़ में इस कॉलेज के जिम्मेदार बड़ी- बड़ी कहानियां सुना सकते हैं! लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में इंटर कॉलेज का स्वरूप अव्यवस्थाओं में अस्त-व्यस्त नजर आता है? यहां पर सुयोग्य शिक्षक हैं। कर्मचारी हैं। लेकिन छात्र-छात्राओं की बात करें तो उनकी संख्या प्रश्नचिन्ह खड़े करती है! यदि बीते केवल 5 वर्षों को संज्ञान में लिया जाए तो ऐसी यूपी बोर्ड की कोई भी परीक्षा नहीं रही जिसके परीक्षाफल में सार्वजनिक इंटर कॉलेज का नाम गर्व के शिखर पर स्थापित होता नजर आया हो!

कॉलेज के जिम्मेदार केवल अपनी मनमानी करने में ही अग्रणी रहे हैं? कहने को तो यहां प्रबंध समिति है? प्रधानाचार्य जी हैं? लेकिन सबके अपने अपने राग है! अपने-अपने दावे हैं! कॉलेज में पढ़ने वाले दर्जनों छात्र-छात्राओं ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि एक तो कोरोना बीमारी की वजह से स्कूल नहीं खुल रहे हैं। दूसरे जब कॉलेज खुलता है तब गुरुजी क्लास में पढ़ाने आएंगे कि नहीं आएंगे! इसकी कोई गारंटी लेने वाला ही नहीं है? एक जमाना था जब यहां पर अध्यापकों के बैठने के लिए एक स्वच्छ स्टाफ रूम हुआ करता था। पीरियड होने पर जब कोई शिक्षक पढ़ाने के लिए क्लास में नहीं पहुंचता था तब इसकी शिकायत प्रिंसिपल से होती थी। अगर शिक्षक नहीं है तो स्वर्गीय राजबहादुर द्विवेदी नादान जी जैसे प्रिंसिपल स्वयं बच्चों को पढ़ाने के लिए क्लास में पहुंच जाते थे। आज स्थितियां इसके बिल्कुल उलट हैं। शिक्षक का जो मन हो वह करें ।बस वह जिम्मेदारों की चापलूसी में पीछे ना रहे? जो शिक्षक पढ़ाना चाहते हैं उनके सामने मुसीबतें ही मुसीबतें हैं!

अत विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि सार्वजनिक इंटर कॉलेज में इस समय जो दुर्गति नजर आ रही है वह इस बात का प्रतीक है कि इसके जिम्मेदार इसे सर्वनाश की बड़ी खाई में धकेलने को आतुर हैं! एक तरफ नगर व क्षेत्र में कई शिक्षा संस्थानों ने सफलता दर सफलता हासिल करनी प्रारंभ कर रखी है और अपना खूब नाम किया है! वहीं सार्वजनिक इंटर कॉलेज शिक्षा के क्षेत्र में फीकी पड़ती चमक में उलझा दिखाई दे रहा है। कॉलेज में कार्यरत कई शिक्षकों का कहना है कि जब कॉलेज खुलता है उस समय इधर-उधर घूमते छात्र एवं छात्राएं यहां की कुव्यवस्था का दर्शन कराने को काफी है? सूत्र बताते हैं कि इंटर कॉलेज लगातार सर्वनाश के कुचक्र में फंसता जा रहा है?नागरिक बताते है कि कॉलेज के जिम्मेदार सामने बैठने पर इतने बड़े-बड़े दावे करते हैं कि जैसे लगता है कि हम किसी बड़े महापुरुष से बातें कर रहे हो? अर्थात सब कुछ मुंह में राम बगल में छुरी के माफिक चल रहा है? इंटर कॉलेज की यह स्थिति देख कर के आम जनमानस भी आहत है। स्थानीय क्षेत्रवासी व नगरवासी चर्चा में स्पष्ट बोलते हैं कि जब से कुछ ज्यादा ही जिम्मेदार व बुद्धिमान लोगों ने कालेज की जिम्मेदारी संभाली है तभी से इस शिक्षा संस्थान का बंटाधार होना प्रारंभ हो गया है! आज यह शिक्षा संस्थान ऐसे जिम्मेदारों की पकड़ में छटपटा रहा है। जबकि यहां की शिक्षा व्यवस्था दयनीय हालत में जा पहुंची है! जाहिर है कि सार्वजनिक इंटर कॉलेज को सर्वनाश से बचाने के लिए यहां पर प्रशासनिक स्तर पर एक बड़े ऑपरेशन की जरूरत है। क्योंकि प्रदेश की योगी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े से बड़े काम कर रही है । जबकि सार्वजनिक इंटर कॉलेज में शिक्षा का बेड़ा गर्क किया जा रहा है। जो कि यहां पर पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। फिलहाल तो इस अति पुराने शिक्षा संस्थान की इस दुर्गति पर नगर व क्षेत्र के तमाम नागरिक खासे चिंतित नजर आ रहे हैं!

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