पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान तथा हिमांचल के राज्यपाल रहे श्री कल्याण सिंह जी अब हम सभी के बीच नहीं रहे।

अशिस सिंह संवाददाता एसएम न्यूज़24टाइमस लखनऊ उत्तर प्रदेश 9198981110

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बहुत याद आयेंगे – श्री राम मंदिर आंदोलन के महानायक कल्याण सिंह

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान तथा हिमांचल के राज्यपाल रहे श्री कल्याण सिंह जी अब हम सभी के बीच नहीं रहे। स्वर्गीय कल्याण सिंह केवल भारतीय जनता पार्टी के ही बाबू नहीं थे वह प्रदेश के पिछड़े समाज के बाबू जी थे और वह करोड़ों रामभक्तों के भी बाबू जी थे।

अयोध्या में यदि आज प्रभु श्रीराम का जो भव्य मंदिर बन रहा है उसमें पूर्व मुख्यमंत्री की भूमिका एक महत्वपूर्ण अध्याय के इतिहास में लिखी व याद की जायेगी। कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार बुलंदशहर के नरौरा में गंगा तट पर बासी घाट पर किया गया। अंतिम संस्कार में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नडडा , गृहमंत्री अमित षाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश कैबिनेट के सभी मंत्री ,उमा भारती, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता विधायक व सांसद उपस्थित रहे। स्वर्गीय कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा में जिस प्रकार से जनसैलाब उमड़ा उससे उनकी लोकप्रियता का अनुमान लगाया जा सकता है।

कल्याण सिंह जी के राजनैतिक जीवन में कई उतार -चढ़ाव आते रहे। वह कतिपय कारणो से बीजेपी से नाराज हुए और 2002 में उन्होंने अपनी पार्टी बनायी और 2003 में वह सपा में चले गये तथा अपने बेटे व पार्षद कुसुम राय को सपा सरकार में महत्वपूर्ण पद दिला दिये। एक प्रकार से बाबू जी का राजनैतिक सफर उतार -चढाव भरा रहा। लेकिन उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी अंतिम यात्रा भाजपा के झंडे में ही लिपट कर होगी और वही हुआ। अंतिम संस्कार के समय उपस्थित सभी नेताओं ने एक स्वर में कल्याण सिंह की प्रशंसा की और कहा कि वह सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि स्वयं में एक आंदोलन थे। राम मंदिर निर्माण को लेकर उनका योगदान देश कभी नहीं भूलेगा। उप्र की जनता के लिए उन्होंने जो योगदान दिया वह भी एक राजनीतिक इतिहास बन गया है। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को हुआ।

स्वर्गीय कल्याण सिंह जी निष्चय ही एक लोकप्रिय व सर्वप्रिय नेता थे और उनकी छवि एक हिंदू नेता के रूप में बनी । वह हिंदुत्व के प्रति समर्पित थे। कल्याण सिंह ने अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण प्रशस्त करने हेतु अपनी सरकार ही दांव पर लगा दी और उन्होंने 6 दिसम्बर 1992 के दिन अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने से साफ मना कर दिया और बाबरी मस्जिद की आखिरी ईंट गिरते ही अपनी सरकार का त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया। कल्याण सिंह बचपन से ही स्वयंसेवक थे और उनमें राष्ट्रप्रेम और हिंदू प्रेम कूट कूट कर भरा था। शिक्षा पूरी होने के बाद इन्हें अध्यपाक की नौकरी मिल गयी। राजनैतिक यात्रा- कल्याण सिंह जी की राजनैतिक यात्रा 1967 से अतरौली विधानसभा से शुरू हुई और अपना पहला चुनाव जनसंघ से लड़ा और फिर दस बार विधायक व दो बार सांसद चुने गये। वह 1985 से 2004 तक विधायक रहे। वह 1977 से 79 तक प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री, 1980 में भाजपा के महामंत्री 1987 में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने। 24 जून 1991 से लेकर वह छह दिसम्बर 1992 तक प्रदेश के पहली बार मुख्यमंत्री रहे । वह 2004 से 9 तक लोकसभा सदस्य रहे। फिर 2009 में भी लोकसभा सदस्य रहे 2014 में लोकसभा से त्यागपत्र दिया और फिर राजस्थन व हिमांचल के राज्यपाल भी रहे।

1991 में प्रदेश में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी जिसमें वह प्रदेश के पहले भाजपा के मुख्यमंत्री बने। भाजपा की पहली सरकार राम मंदिर के ही नाम पर बनी थी और उसी पर वह सत्ता से विमुख भी हो गयी थी। फिर 1997 में भी कल्याण सिंह ने बसपा नेत्री मायावती के साथ मिलकर सरकार बनायी लेकिन वह राजनैतिक कारणों से वह अधिक दिनां तक नहीं चल सकी थी। बाद में राजनैतिक जोड़तोड़ के बाद वह सरकार चलती रही। कल्याण सिंह जी को केवल राम मंदिर के लिए ही याद नहीं किया जायेगा अपितु उन्हें कई और कामों के लिए भी याद किया जायेगा। उन्हें प्रदेश में पहली बार नकल विरोधी कानून बनाकर षिक्षा में षुचिता वापस बहाल करने तथा राजनैतिक दावपेंच में जगदम्बिका पाल की राजनीति को पटखनी देने तथा मंडल की राजनीति के षोर के समय कमंडल की राजनीति करते हुए भी पिछड़ां को अपने साथ जोड़े रखने के लिये याद किया जायेगा । यह कल्याण सिंह का ही प्रयास था कि आज पूरे भारत का पिछड़ा समाज भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ रहा है। मंडल कमीशन की आग को रोकने के लिए उन्होंने सामाजिक समरसता का फार्मूला सुझाया था।

कल्याण सिंह जी की सबसे बड़ी उपलब्धि थी नकल कानून पर अध्यादेश, जब वह 1991 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब तत्कालीन षिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मिलकर उन्होंने कड़ा कानून बनाया और नकल को संज्ञेय अपराध भी घोषित किया। जिसके कारण उनके शासन काल में पहली बार नकल करने वाले छात्रों को जेल जाना पड़ा और यह कानून पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था और उन पर कानून वापस लेने का दबा भी बनाया गया लेकिन वह टस से मस नहीं हुए जिसका राजनैतिक नुकसान भी बीजेपी को उठाना पड़ा क्योंकि युवा वर्ग काफी नाराज हो गया था।

कल्याण सिंह की सरकार के दौरान प्रदेश की कानून व्यवस्था सबसे अच्छी थी। कानून व्यवस्था पर जब बहस होती है तो कल्याण सिंह को अवष्य याद किया जाता है और कहा जाता है कि वही एक ऐसी सरकार थी जिसमें युवतियां देर रात तक अकेले घूम सकती थीं और बाजारों में किसी प्रकार की छेड़छाड और चेन छीनने जैसी वारदात तक नहीं होती थी। सरकारी अफसरों के बीच भी उनकी एक हनक और धमक थी। संगठित अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होती थी। एक दिन में समूह ”ग“ की एक लाख भर्ती के लिए परीक्षा कराई। भ्रष्टाचार के आरोपों पर कड़ी कार्यवाही की। कल्याण सिंह जी अपनी राजनैतिक यात्रा में किसी दबाव में नहीं झुके और उनका पूरा राजनैतिक जीवन पूरी तरह से बेदाग रहा। कल्याण जी पर भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद का कोई आरोप कभी भी नहीं लगा । भारतीय राजनीति में वे एक विरल व्यक्ति थे उनके जैसे व्यक्तित्व का मिलना बहुत ही कठिन है।

कल्याण सिंह जी भाजपा की जय पराजय , और पुनरूत्थान के सूत्रधार थे। भारतीय जनता पार्टी व हिंदुत्व की विकास यात्रा में उनका अमूल्य योगदान है। वह हिंदुत्व के प्रति पूरी तरह से समर्पित नेता थे। कल्याण सिंह वास्तव में इतिहास पुरूष बन गये हैं और वह अमरता को प्राप्त हो चुके हैं। वह षुचिता की राजनीति करने वाले लोकप्रिय जननेता थे। राम मंदिर आंदांलन में वह भरोसे के नेता साबित हुए। पूरे समर्पण भाव के साथ उन्होंने राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया। वह बराबर अयोध्या जाकर आंदोलन में षामिल रामभक्तों का मनोबल बढ़ाते थे। दो नवंबर 1990 की घटना के बाद रामभक्तों को उन्होंने विष्वास दिलाया कि निकट भविष्य में ऐसी सरकार आने वाली है जो पुष्पवर्षा कर रामभक्तां का अभिनंदन करेगी। वास्तव में अब योगी सरकार उनके सपनां को पूरा करने में लगी हुई है। अयोध्या में अब भव्य दीपोत्सव का आयोजन हो रहा है और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण षुरू हो चुका है जिसको षुरू हुए एक वर्ष हो गया है। बाबू जी की वह अंतिम इच्छा नहीं पूरी हो सकी जिसमें वह चाहते थे कि वह अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर के दर्षन करके ही अपना शरीर छोंड़ू। लेकिन कम से कम उनके लिए यह सौभाग्य की ही बात रही कि उनके सामने मंदिर निर्माण शुरू हो गया।

जब तक राम मंदिर रहेगा कल्याण सिंह का नाम रहेगा । वह त्याग, साहस, संघर्ष, संकल्प एवं संगठन कौशल के पर्याय थे। सदियों के संघर्ष व आस्था का पुनीत परिणाम तथा देश दुनिया में फैले भारतवासियों का चिर प्रतिक्षित स्वप्न यदि आज श्रीराम के भव्य मंदिर के रूप में सजीव साकार होने जा रहा है तो उसकी नींव में कल्याण सिंह जैसे नायकों का त्याग एवं संघर्ष भी है। श्रीराम केवल किसी समुदाय विषेश के केंद्र बिंदु नहीं वे विष्व मानवता के आदर्ष व पथप्रदर्षक हैं। कल्याण सिंह स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े जानांदोलन के अगुआ और नायक मात्र ही नहीं थे । उन्होंने भारतीय राजनीति की दिषा तय की और दशकों से उपेक्षित एवं तिरस्कृत हिंदू अस्मिता , हिंदू चेतना को मुख्यधारा की राजनीति का हिस्सा माना और बनाया।

कल्याण सिंह जातियों में बंटें समाज और राजनीति को श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से से जोड़ पाने में वे असाधारण रूप से सफल रहे। वह सांस्कृतिक अस्मिता को राजनीति के केंद्र में स्थापित करने वाले जननेता बने। कल्याण सिंह का निधन हिंदू समाज व हिंदुत्व की रानजीति के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।कल्याण जी के सम्मान में सड़कों का नामकरण – उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह के सम्मान में प्रदेश के कई जिलों की सड़कां का नाम कल्याण सिंह मार्ग रखा जायेगा इस बात का ऐलान प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री को सम्मान देने के लिए अयोध्या में राम मंदिर तक जाने वाली सड़क का नाम कल्याण सिंह मार्ग रखा जायेगा। अयोध्या सहित लखनऊ ,प्रयागराज, बुलंदशहर और अलीगढ़ में एक -एक सड़क का नाम भी कल्याण सिंह के नाम पर होगा।

अशिस सिंह संवाददाता एसएम न्यूज़24टाइमस लखनऊ उत्तर प्रदेश 9198981110

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