चीन ने अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देना किया शुरू, बीजिंग ने बनाई दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना, क्या दो महाशक्तियों के टकराव से प्रशांत महासागर होगा अशांत?

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चीन के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बीजिंग, वॉशिंग्टन को उसी की भाषा में जवाब देगा। इस हफ्ते की शुरुआत में ही चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने द्वीपीय सैन्य अड्डे के पास अमेरिकी डिस्ट्रॉयर की मौजूदगी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
चीन ने अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देते हुए प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर में अपने युद्धपोतों को भेजने का ऐलान किया है। चीन ने यहां तक दावा किया है कि उसके युद्धपोत इस बार स्वतंत्र नेविगेशन के क़ानूनों के तहत अमेरिका के तटों के बेहद नज़दीक तक जाएंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका भी जवाबी कार्यवाही के लिए अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों को आक्रामक तैनाती कर सकता है। बीजिंग ने इसे अमेरिका की बदमाशी तक क़रार दिया और कहा कि वॉशिंग्टन की हर भड़काऊ कार्यवाही का उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। खोजी पत्रकार बेन स्वान ने रूसी सरकारी मीडिया आरटी को बताया था कि एक अमेरिकी नौसेना विध्वंसक दक्षिण चीन सागर में एक कृत्रिम चीनी द्वीप के 12 मील के भीतर से गुज़रा है। चीन ने इसे उकसाने वाली कार्यवाही क़रार दिया था। उन्होंने कहा कि अब चीन इस भड़काऊ कार्यवाही पर प्रतिक्रिया देने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में चीन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सीमा के 12 मील के भीतर अपने युद्धपोत भेजेगा।
वर्तमान में चीनी नौसेना (PLAN) में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं, उतनी तो अमेरिका के पास भी नहीं है। वहीं कुछ पश्चिमी मीडिया का दावा है कि चीनी नौसेना के पास इतनी बड़ी संख्या में हथियारों के होने के बावजूद उनकी फायर पॉवर और युद्धक क्षमता दुनिया के कई देशों से काफ़ी कम है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार अपने भाषणों में यह दावा कर चुके हैं कि उनकी सेना का उद्देश्य किसी देश पर हमला करना नहीं है। चीन इस समय काफ़ी तेज़ी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज़्यादा ख़र्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज़ निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताक़त को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेज़ी से जारी है। जिनपिंग ने 2015 में शिपयार्ड और प्रौद्योगिकी में निवेश का आदेश दिया था। उन्होंने तब कहा था कि हमें एक शक्तिशाली नौसेना के निर्माण की ज़रुरत जो आज महसूस हो रही है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। इस बीच प्रशांत महासागर में दिन प्रतिदिन चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते टकराव से दुनिया को अब यह चिंता सताने लगी है कि आने वाले दिनों में कहीं इन दो महा शक्तियों के टकराव से प्रशांत महासागर अशांत न हो जाए।समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ 9889789714
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