जनरल कासिम सुलेमानी को नहीं हर उस इंसान को शहीद किया है जो आतंकवाद के खात्मे और देश के लिए लड़ता है आतंकवाद के संरक्षक अमेरिका इज़राईल की हम निन्दा करते है

अज़मी रिज़वी

कल ३ जनवरी को अमेरिका ने इराक हवाई हमला कर ईरान के वरिष्ठ कमांडर जनरल कासिम सुलैमानी सहित 8 अन्य लोगो को शहीद कर दिया।

 

अमेरिका का यह कृत उसके लिए बड़ा काल साबित होगा।क्योंकि ईरान अपने वरिष्ठ कमांडर की शहादत का भयानक बदला जरूर लेगा।आपको बताते चले कि जनरल सुलेमानी ईरानी की एक ख़ास शख़्सियत थे. उनकी क़ुद्स फोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामेनेई को रिपोर्ट करती है।सुलेमानी की पहचान देश के वीर के रूप में थी।

सुलेमानी को पश्चिम एशिया मे ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता रहा है। क़ुद्स फोर्स के कमांडर जनरल क़ासीम सुलेमानी को ईरान के सुप्रीम लीडर आयतोल्लाह अली ख़ामनेई ने ‘अमर शहीद’ का ख़िताब दिया है।

जनरल क़सीम सुलेमानी ने यमन से लेकर सीरिया तक और इराक़ से लेकर दूसरे मुल्कों तक रिश्तों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया ताकि इन देशों में ईरान का असर बढ़ाया जा सके। 8 वर्षों तक चले युद्ध के अंत के बाद वह ईरान की पूर्वी सीमा पर मादक पदार्थों के तस्करों से लोहा लेने लगे और फिर ईरान के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनई ने उन्हें तेहरान बुला कर आईआरजीसी की कुद्स ब्रिगेड का कमांडर बना दिया।

उन्होंने लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन और फिलिस्तीनी गुटों को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसका प्रभाव लेबनान के खिलाफ इस्राईल के युद्धों में साफ नज़र आया और हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल को कई बार पराजित करके, नया इतिहास रचा

अमरीका, इस्राईल और सऊदी अरब तथा कुछ अन्य क्षेत्रीय देशों की साज़िश से जब इराक़ और सीरिया में आंतकवाद का संकट फैल गया तो जनरल कासिम सुलैमानी को नयी ज़िम्मेदारी मिली और इस ज़िम्मेदारी को बहुत अच्छी तरह से उन्होंने निभाया।

जनरल सुलैमानी की कोशिशों से इराक़ और सीरिया में स्वंय सेवी बलों का गठन हुआ और उनकी मदद से इन दोनों देशों में आतंकवादियों का लगभग पूरी तरह से सफाया कर दिया गया। आज सीरिया और इराक़ की जनता और सरकारी अधिकारी खुल कर कहते हैं और सब को मालूम भी है कि अगर ईरान न होता तो बगदाद और दमिश्क पर आतंकवादी संगठन दाइश का क़ब्ज़ा होता। रूस को सीरिया के मैदान में लाने के लिए राष्ट्रपति पुतीन को तैयार करने में भी जनरल कासिम सुलैमानी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। ईरान को इराक़ और सीरिया में जीत दिलाने में मुख्य भूमिका जनरल क़ासिम सुलैमानी की थी।

अपनी मूर्खताओं के लिए मशहूर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक और बड़ी और शायद सब से बड़ी मूर्खता कर दी है जिसकी क़ीमत शायद उनकी कल्पना से परे हो। ईरान इस आतंकवादी हमले का जवाब कैसे देगा और क्या होगा उसका बदला? इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दी है लेकिन यह तो निश्चित है कि इलाक़े में एक नया संकट शुरु हो चुका है जो बड़े परिवर्तन की भूमिका भी हो सकता है। अमरीकी हमले में वरिष्ठ ईरानी और इराक़ी सैन्य कमांडरों की मौत के बाद इस्राईल में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, वहीं इस्राईली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू के ग्रीस की अपनी यात्रा अधूरी छोड़कर तेल-अवीव वापस लौटने की ख़बर है।
इस्राईली मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, नेतनयाहू गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने एथेंस पहुंचे थे। ग्रीस से वापस लौटने से पहले इस्राईली प्रधान मंत्री ने कहा कि इस्राईल ने मध्यपूर्व में एक गठबंधन का गठन किया है, एक ऐसा गठबंधन जो इस्राईल के ऊर्जा भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और इससे इस्राईल क्षेत्र में एक ऊर्जा शक्ति बनने जा रहा है।

दूसरी ओर बग़दाद में अमरीकी हमले में ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी और इराक़ के अल-हशदुश्शाबी के डिप्टी कमांडर अबू अल-मोहंदिस की शहादत के बाद, वाशिंगटन ने एक बयान जारी करके अपने नागरिकों को तुंरत इराक़ छोड़ने का आदेश दिया है।जनरल कासिम सुलैमानी, ईरान के किरमान प्रान्त में पैदा हुए और 12 वर्ष की आयु में गांव छोड़ कर किरमान नगर गये और वहां मज़दूरी करने लगे, बाद में जल विभाग में ठेकेदार बने और इसी दौरान क्रांति के लिए जारी आंदोलन में भाग लेना भी शुरु कर दिया। ईरान में क्रांति की सफलता के बाद वह आईआरजीसी में शामिल हुए जल्द ही कमांडर बन गये और फिर ईरान इराक़ युद्ध में उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि जनरल सुलैमानी की शहादत से क्षेत्र और संसार मे प्रतिरोध का पेड़ और अधिक मज़बूत होगा। उन्होंने कहा है कि अमरीका अपनी इस कार्यवाही के हर प्रकार के परिणाम का ज़िम्मेदार होगा। ज़रीफ़ ने कहा कि जनरल सुलैमानी की हत्या, अमरीका की एक बहुत ही ख़तरनाक और मूर्खतापूर्ण कार्यवाही है।जैसा कि दुनिया जानती है और पूर्व मे देख भी चुकी है कि मिडिल ईस्ट का ईरान ऐसा देश है जो न तो दबाव के आगे झुकता है और न ही जुल्म के आगे।इसलिए वह इस आतंकी और कायरतापूर्ण हमले का जवाब जरूर देगा।बस हमले का वक्त और जगह दोनो न मालूम है।

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