सदर सीट पर बसपा की हलचल तेज, परिवर्तन के संकेत!

मो0 शमीम अंसारी के साथ अब्दुल मुईद की खास रिपोर्ट

‘‘आई सर्जन डा0 विवेक सिंह वर्मा के चुनाव मैदान में आने से बदले नजर आ रहे हैं समीकरण’’

बाराबंकी। विजयलक्ष्मी नेत्र चिकित्सालय बाराबंकी के प्रबंधक एवं समाजवसेवी सादर विधान सभा के बसपा प्रत्याशी डा0 विवेक सिंह वर्मा के चुनाव मैदान में आने से सपा का गढ़ कही जाने वाली सदर विधान सभा सीट पर इस बार परिवर्तन की आहट साफ दिखाई-सुनाई़ पड़ रही है। आई सर्जन के चुनाव मैदान में आने से सदर विधान सभा के वोटर व समीकरण बदले-बदले नजर आ रहे हैं, वहीं सपा के मुस्लिम वोटरों का रूझान भी इस बार डा0 विवेक की तरफ बढ़ रहा है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार समीकरण के खेल में राजनीतिक के धुंरधरों में हलचल मची हुई है। जनपद के कई नेताओं के दिलों में समीकरण को लेकर हलचल मची हुई है। फिलहाल सदर विधान सभा का चुनाव रोचक होता जा रहा है। सदर विधान सभा क्षेत्र में दर्जनों उम्मीदवार अपनी ताल ठोंक रहे हैं। अन्य पार्टियों में एक-एक पार्टी से 4-5 प्रत्याशी मैदान में उतर आये हैं, सभी अपने आपको पार्टी का सच्चा सिपाही बता रहे हैं लेकिन किस प्रत्याशी को टिकट मिलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा वही जिनको टिकट नहीं मिलेगा वही दावेदार अपनी ही पार्टी की लुटिया डुबोने में पीछे नजर नहीं आयेंगे। वही अन्य पार्टियों से प्रत्याशी न घोषित होने से बसपा प्रत्याशी धीरे-धीरे आम जनता तक पहुंच बनाये हुए हैं।
मालूम हो कि सदर सीट कभी समाजवादी पार्टी व कभी बसपा के पास ही रही है, लेकिन इस बार भाजपा भी इस सीट पर पुरजोर कोशिश कर रही है कि इस सीट पर कब्जा किया जाये लेकिन इतना आसान नहीं है, भाजपा के लिए यह सीट हासिल कर ले क्योंकि मोदी लहर में भी सपा ने इस सीट पर आसानी से कब्जा कर लिया था और मुकाबला भी सपा व बसपा में ही था। लेकिन इस बार सपा से मुस्लिमों की नाराजगी से मुस्लिमों का रूझान बसपा की तरफ लगातार बढ़ रहा है।
चर्चा के अनुसार कई नेताओं की सीधी फाइट बसपा होने के कारण, वोटों का गणित बिगाड़ने के लिए डमी प्रत्याशियों की खोज शुरू कर दी है और कई नेताओं ने अपने चहेतों की होर्डिंग बैनर भी लगवा दिये हैं। वहीं इस बार बहुजन समाज पार्टी के नेत्र सर्जन डा0 विवेक सिंह वर्मा के सबसे पहले प्रत्याशी घोषित होने के बाद चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले की तरफ बढ़ता जा रहा है। डा0 विवेक सिंह वर्मा जब से प्रत्याशी घोषित हुए हैं तब से धुआंधार जनसभा व गांव-गांव पहुंचकर अपनी आमद दर्ज करा रहे हैं, सभी धार्मिक आयोजनों में प्राथमिकता के आधार पर पहुंच रहे हैं। कई विपक्षी पार्टियों में इनकी सक्रियता से हलचल मची हुई है और रातों की नींद हराम हो गई है। वही बात जब समीकरण की होती तो समीकरण के आधार पर इस बार बसपा का पलड़ा भारी दिख रहा है।

मुस्लिमों की नाराजगी पड़ सकती है सपा को भारी!

मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से समाजवादी पार्टी द्वारा मुस्लिमों को टिकट न देना पड़ सकता है भारी, कई सपा के कट्टर वोटरों का रूझान अन्य दलों की तरफ बढ़ता जा रहा है। इस सम्बंध में कई युवा मतदाताओं से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सपा को वोट मुस्लिमों का चाहिए लेकिन टिकट मुस्लिमों को नही। वही पुराने सपोर्टरों ने बताया कि जब कोई मुस्लिम प्रत्याशी सपा से उतारा जाता है तो यादव वोट मुस्लिम मंे न जाकर सजातीय व अन्य प्रत्याशी को चला जाता है। इसलिए मुस्लिम वोटर इस बार समाजवादी पार्टी से काफी नाराज नजर आ रहा है। वही लोगों का कहना है कि सदर सीट पर किसी मुस्लिम प्रत्याशी को समाजवादी पार्टी अगर नहीं उतारेगी तो हम लोग अपना वोट किसी अन्य पार्टी को देंगे।

मो0 शमीम अंसारी के साथ अब्दुल मुईद की खास रिपोर्ट

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