अमरीका के ख़ूनी चंगुल में जकड़े इराक़ पर दुनिया को हिला देने वाली रिपोर्ट, किस तरह से इराक़ अमरीका के चंगुल में जकड़ता जा रहा है?
समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ 9889789714
इराक़ के अतिग्रहण के 18 साल गुज़रने के बाद अब भी लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि किस तरह बड़ी कंपनियों ने अमरीका और ब्रिटेन को इराक़ पर क़ब्जे के लिए प्रेरित किया था ताकि ट्रम्प तेल की लूटमार के बारे में इस तरह की बातें करें।
हमारे ऊपर इराक़ के तेल पर क़ब्ज़ा करना ज़ूरूरी है। अगर हम सद्दाम शासन के पतन से थोड़ा पहले की ओर नज़र डालते हैं तो देखते हैं कि अमरीका ने इराक़ पर 13 साल तक कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे थे और उसने संयुक्त राष्ट्र संघ पर दबाव डालकर तेल के मुक़ाबले में खाद्य पदार्थ का क़ानून पारित करवा था ताकि इस तरह से वह इराक़ के एक तिहाई तेल की लूटमार कर सके और उसके बाद अमरीका ने 20 मार्च 2003 को संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद की अनुमति के बिना इराक़ पर शत्रुतापूर्ण हमले शुरू कर दिए, इस हमले का मक़सद ज़ाहिरी तौर पर इराक़ी जनता को मुक्ति दिलाना था लेकिन उसमें इससे भी बढ़कर कई और विषय छिपे हुए थे।
इराक़ी नेता हुसैन कनानी का कहना है कि अमरीका, इराक़ से एसे बर्ताव करता है मानो जैसे इराक़ उसका घर आंगन हो, सद्दाम शासन के पतन के बाद से उन्होंने इस देश के तेल की लूटमार के लिए तनिक भी संकोच नहीं किया। इराक़ पर क़ब्ज़े के बाद अमरीका की एक अन्य संदिग्ध कार्यवाही, देश की दक्षिणी तेल कंपनी को उसके हाल पर छोड़ देना थी और उसके कुछ दिन बाद ही इस कंपनी के सारे दस्तावेज़ों को अज्ञात लोग उठा ले गये और उन्होंने पूरी बिल्डिंग को आग लगा दी लेकिन खेल यहीं पर ख़त्म नहीं हुआ और अमरीका ने तबाह हो चुकी तेल कंपनी की मरम्मत कराने के लिए हेलीबर्टन कंपनी ग्रुप को ले आया, हेलीबर्टन कंपनी ग्रुप के मुखिया उस समय राष्ट्रपति बुश के सहायक डेकचेनी थे।
इराक़ी टीकाकार अब्बास अलजबूरी का कहना है कि कुछ लोगों यह कहते हैं कि अमरीका को तेल की ज़ूरूरत नहीं है, एसा बिल्कुल नहीं है, बल्कि उनकी इराक़ के तेल पर हमेशा नज़र रही है क्योंकि उन्हें बता है कि इराक़ के तेल के भंडार 24 अरब बैरल से ज़्यादा हैं। हम इराक़ के तेल के मामलों के विशेषज्ञ डाक्टर हम्ज़ा जवाहिरी के घर गये, वह लगभग चालीस वर्षों तक इराक़ में तेल निकालने के विषय में सक्रिय रहे हैं और इस समय इराक़ी के तेल के एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं, वह इराक़ की वर्तमान चिंता का कारण, तेल की लूटमार नहीं बल्कि इराक़ी तेल की सारी आय अमरीका के फ़ेडरल बैंक में जमा हो जाना क़रार देते हैं।
महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि खेद के साथ कहना पड़ता है कि इराक़ी तेल की सारी आय अमरीका के फ़ेडरल बैंक में जाम होती है और अगर अमरीका एक दिन इस संपत्ति को सील कर दे तो हमारे पास संपत्ति नहीं होगी, अमरीका ने धमकी दी है कि अगर इस संपत्ति को फ़ेडरल बैंक से निकाला गया तो अमरीका और पश्चिमी देश, अमरीकी कोर्ट के फ़ैसले के आधार पर अपने ऋण लेने के लिए इराक़ की सारी संपत्ति को ज़ब्त कर लेंगे। वर्तमान समय में इराक़ के तेल से मिलने वाले 54 मिलियन डालर और 38 अरब डालर के बैंकिंग डाक्युमेंट्स, अमरीका के फ़ेडरल बैंक में जमा हैं और इराक़ को इन संपत्तियों के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं है, टीकाकारों का कहना है कि अमरीका की यह कार्यवाही न केवल इराक़ की संप्रभूता का उल्लंघन है बल्कि निकट भविष्य में सारे भूमिगत भंडारों के लिए ख़तरा भी समझी जाती है।