अमरीका को फिर क्यों चिंता सताने लगी अफ़ग़ानिस्तान की सुरक्षा की ? दाइश के हमलों को लेकर अमरीका फिर हुआ चिंतित

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ 9889789714

अफ़ग़ानिस्तान के बारे में अमरीका के विशेष दूत ने अपने बयान में दावा किया है कि अफ़ग़ानिस्तान में आतंकी गुट दाइश के हमलों में वृद्धि से वाशिग्टन बहुत चिंतित है। थामस वेस्ट ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में दाइश के बढ़ते हमले हमारे लिए चिंता की विषय हैं।  उन्होंने कहा कि जब अफ़ग़ानिस्तान में अन्य आतंकी गुटों की चर्चा होती है तो उसमें अलक़ाएदा भी शामिल है। आतंकवादी गुटों के अस्तित्व में आने के इतिहास के दृष्टिगत यह अमरीकी चिंता थोड़ी आश्चर्च में डालने वाली लग रही है।  दाइश को अस्तित्व देने में अमरीका अपनी भूमिका को कभी भी झुठला नहीं सकता।  दाइश आरंभ में इराक़ में बास पार्टी के बचे-खुचे तत्वों और तकफ़ीरियों से मिलकर बना था जिसने बहुत तेज़ी से अपनी गतिविधियों को इराक़ के बाहर सीरिया में भी शुरू कर दिया।  अमरीका ने अपने पश्चिमी और अरब घटकों के साथ मिलकर दाइश की सहायता की और उसका आशीर्वाद, इस आतंकी गुट को हासिल रहा है।  इस काम से अमरीका का एक लक्ष्य सीरिया की वैध सरकार को गिराकर क्षेत्र में इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलनों को कमज़ोर बनाना था।

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने एक भाषण में दाइश को अस्तित्व में लाने में भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और तत्कालीन विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन की भूमिका का उल्लेख कर चुके हैं।जनवरी 2016 के अपने भाषण में ट्रम्प ने कहा था कि ओबामा और हिलैरी दोनो ही दाइश के बनाने में सक्रिय रहे हैं।  आज जिस दाइश के विरुद्ध गठबंधन बनाकर अमरीका, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चला रहा है उसी अमरीका ने 2011 से 2014 के बीच दाइश की खुलकर सहायता की थी।  बाद में जब उन्होंने देखा कि इराक़ के कई क्षेत्रों पर नियंत्रण करने के बाद दाइश कहीं अनियंत्रित न हो जाए तो 2014 के अंत में तथाकथित दाइश विरोधी गठबंधन को जन्म दिया गया।  इससे अमरीका का मुख्य उद्देश्य दाइश को अपने नियंत्रण में रखना था ताकि इस आतंकी गुट को अपने हिसाब से प्रयोग किया जाए। अफ़ग़ानिस्तान से अगस्त 2021 में अपनी लज्जाजनक पराजय के बाद इस देश में दाइश की संदिग्ध गतिविधियों में तेज़ी के बाद से फिर अमरीका को आतंकवाद का विरोध करने की चिंता सताने लगी है।  दाइश को अफ़ग़ानिस्तान से अमरीका, ईरान और रूस के साथ ही ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान के विरुद्ध प्रयोग करना चाहता है।  वह इस हथकंडे से रूस के साथ ही चीन पर भी दबाव बनाना चाहता है। अफ़ग़ानिस्तान मामलों के एक जानेमाने टीकाकार पीर मुहम्मद मुल्लाज़ेही का कहना है कि अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान मे अपने स्थान को दाइश के हवाले कर दिया है।  इन सारी बातों के दृष्टिगत दाइश से मुक़ाबले और उसकी बढ़ती गतिविधियों के संबन्ध में अमरीकी दावों को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह स्पष्ट है कि वाशिग्टन के समर्थन के बिना दाइश, कभी भी आतंकी कार्यवाहियां अंजाम नहीं दे सकता।

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