लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि अमरीकी सेना को जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या का हर्जाना अदा करना पड़ेगा।
दक्षिणी बैरूत में शहीद क़ासिम सुलैमानी और शहीद अबू महदी अलमुहन्दिस की याद में आयोजित एक शोकसभा को संबोधित करते हुए सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि 2000 में लेबनान से इस्राईल के निकलने में शहीद क़ासिम सुलैमानी ने मुख्य भूमिका अदा की थी।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने दाइश की पराजय में शहीद सुलैमानी की भूमिका का वर्णन करते हुए कहा कि यदि दाइश को सीरिया और इराक़ में हराया न जाता तो आज जार्डन, कुवैत और फ़ार्स की खाड़ी के अन्य देशों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाती।
हिज़्बुल्लाह के प्रमुख ने यह बात बल देकर कही कि क्षेत्र का प्रतिरोध, ईरान और जनरल क़ासिम सुलैमानी का ऋणि है। उन्होंने कहा कि ईरान दुनियाभर के कमज़ोरों और अत्याचारग्रस्तों की मदद को अपना दायित्व समझता है और इसी आधार पर वह हमारी मदद करता है और आज तक हम से कोई मांग नहीं की और यही बात पश्चिमी देशों की हलक़ से नीचे नहीं उतरती और वह यह समझते हैं कि क्षेत्र का प्रतिरोध, ईरान की प्राक्सी बना हुआ है।
इराक़ में अमरीकी के सैन्य अड्डे पर ईरान के जवाबी हमले की ओर संकेत करते हुए सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि एनुल असद छावनी पर ईरान के मीज़ाइल हमले ने अमरीका के दबदबे को चकनाचूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि अमरीकी सेना को अंततः शहीद सुलैमानी और शहीद अबू महदी अलमुहन्दिस की हत्या का भीषण हर्जाना अदा करना ही पड़ेगा और क्षेत्र से उनका निष्कासन होकर ही रहेगा।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ईरान ने अमरीका के मुंह पर जो तमाचा रसीद किया है उसमें हमारे लिए पाठ छिपा हुआ है कि हम अपनी शक्ति पर भरोसा करें क्योंकि अमरीका असीमित शक्ति का मालिक नहीं है।
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