हक़ बोलने वाला

हिकायत – हज़रत सूफियान सौरी रहमतुल्लाहि तआला अलैहि एक शख्स का जनाज़ा पढ़कर आये तो देखा कि जो मिलता है उसी की तारीफ करता नज़र आता है और कोई भी उसकी बुराई नहीं कर रहा है,जब आपने ये देखा तो फौरन तौबा की और फरमाया कि मुझे पहले मालूम होता तो कभी उसका जनाज़ा न पढ़ता क्योंकि ये शख्स हरगिज़ हक़ बोलने वाला नहीं रहा होगा क्योंकि अगर वो हक़ ग़ो होता तो बहुत लोग उसके मुखालिफ भी होते तो अगर उसका कोई मुखालिफ नहीं तो वो सबकी हां में हां मिलाने वाला रहा होगा

 

? तज़किरातुल औलिया,सफह 223

तो इससे ये पता चलता है कि हक़ बोलने वाले के मुखालिफ हुआ ही करते हैं क्योंकि सच्ची बात हमेशा कड़वी होती है और कड़वी बात लोगो को हज़म नहीं होती जिससे वो उसके मुखालिफ हो जाते हैं लिहाज़ा अगर कोई आपकी बुराई करता नज़र आये तो समझ लीजिए कि अभी आपमें कुछ अच्छाई बाक़ी है*

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