नमाज़े जुमा में आयतुल्लाह ख़ामेनई का ख़ुतबाः जिस दिन ईरान के मिसाइलों ने अमरीकी ठिकाने को ध्वस्त किया वह दिन अल्लाह का दिन है

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 तेहरान में नमाज़े जुमा में इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह ख़ामेनई का ख़ुतबाः अगर हम चाहते हैं कि ईश्वर की कृपा के पात्र बनें, अगर व्यक्तिगत मामलों का समाधान चाहते हैं तो इसका रास्ता तक़वा है। हम सबकी कोशिश होना चाहिए कि अपने कामों का आधार तक़वा को बनाएं।
यह जो दो सप्ताह गुज़रे हैं हमारे लिए बड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं वाले दो हफ़्ते थे। इन दो सप्ताहों में ईरानी राष्ट्र के लिए बड़ी कटु और मधुर घटनाएं हुईं।जिन दिनों में ईरान में दसियों लाख लोग और इराक़ में हज़ारों की संख्या में लोग क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए मैदान में आए और दुनिया की सबसे महान विदाई का दृष्य पेश किया वह दिन अल्लाह के दिन हैं।
जिस दिन ईरान के मिसाइलों ने अमरीकी ठिकाने को ध्वस्त किया वह दिन अल्लाह का दिन है।
ईरानी समाज सब्र और शुक्र करने वाला समाज है। हमारा राष्ट्र प्रतिरोध करने वाला और कृतज्ञ समाज है। बीते हुए वर्षों में ईरानी राष्ट्र हमेशा ईश्वर की कृपा का आभारी रहा है।
इस्लामी क्रान्ति की सफलता के 41 साल बाद कौन सी ताक़त इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मैदान में लाई? यह आंसू, यह प्रेम और यह भावनाएं किसने पैदा कीं?जो भी इन घटनाओं में ईश्वर का हाथ नहीं देख पा रहा है और भौतिक विशलेषण कर रहा है वह पीछे रह जाएगा।
ईश्वर का इरादा इस राष्ट्र की विजय का इरादा है।जनरल सुलैमानी की हत्या कायरतापूर्ण कार्यवाही और अमरीका के लिए एक कलंक है। इससे पहले तक इस इलाक़े में यह हरकत केवल ज़ायोनी शासन करता था।
अमरीका के राष्ट्रपति ने ख़ुद इस क़त्ल की बात स्वीकार की। इससे बड़ी बदनामी क्या हो सकती है?
सिपाहे पासदारान का जवाबी हमला विचार योग्य है। यह हमला वैसे तो एक सैनिक कार्यवाही थी लेकिन इससे बढ़कर यह अमरीका की हैसियत पर हमला था इसने अमरीका की सुपर पावर की पोज़ीशन को निशाना बनाया।
क़ुद्स फ़ोर्स को केवल संस्था के रूप में मत देखिए बल्कि महान व स्पष्ट मानवीय भावनाएं और लक्ष्य रखने वाली मानवीय संस्था के रूप में देखिए।

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