रुपैया वाला प्रत्याशी है भैया! नोचों नोट औ काटो पनीर? ज्यादातर दलों में जारी है प्रत्याशी लूटो अभियान! बेचारे प्रत्याशी जानबूझकर हो रहे हैं लूट का शिकार?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

समर्पित कार्यकर्ता प्रचार में व्यस्त, लेकिन खून चूसने में माहिर सियासी खटमलों का बिना रुपया नहीं बढ़ता है एक कदम? रुपया भी लेते हैं? एहसान भी जताते हैं! कहते हैं तुम्हारे चुनाव में मेरा खुद ही इतना खर्च हो गया?

बाराबंकी। पिटनी तंबाकू खाने वाले इस समय रजनीगंधा मसाला उड़ा रहे हैं। बीड़ी वाले सिगरेट के छल्ले उड़ा रहे हैं!ज्यादातर पार्टी के भंडारों में दिव्य भोजन की व्यवस्था जारी है! तो वही पेट्रोल -डीजल भी इफराद है। समर्पित कार्यकर्ता पार्टी के प्रचार में समर्पित है। लेकिन घाघ दिमागदार लोग प्रत्याशियों को बेखौफ लूटने में जुटे हैं?ऐसे सियासी खटमल आपसी चर्चा में कहते हैं! चुनाव है प्यारे! रुपैया वाला प्रत्याशी है! इसे खूब नोचों और पनीर खाओं पनीर ?नहीं तो चुनाव खत्म होने के बाद में तू पछताएगा !वह भी खाली हाथ! एड़िया रगड़ कर रह जाएगा और कुछ नहीं?जी हां कुछ ऐसा ही नजारा है जनपद के कई दलों के कई प्रत्याशियों की वर्तमान स्थिति का? क्या भाजपा, क्या सपा, क्या कांग्रेस, क्या बसपा?क्या अन्य दल? जहां भी आर्थिक रूप से संपन्न प्रत्याशी मिला है! वहां चतुर सुजान कथित समर्थकों ने उस प्रत्याशी को हर तरह से लूटने का पूरा इंतजाम कर रखा है? जनपद के कई चुनावी कार्यालयों की स्थिति को बारीकी से समझने पर जो स्थिति सामने आई है वह भारतीय लोकतंत्र पर सवाल उठाती नजर आती है? विश्वत सूत्रों के मुताबिक दल के कई लोग अपने ही दल के प्रत्याशी को हर तरह से लूटने, नोचने एवं उसे आर्थिक रूप से उत्पीड़ित करने में जरा भी दया नहीं दिखा रहे हैं? कहीं पेट्रोल- डीजल की पर्ची पर लूट हो रही है। कहीं भंडारे में बनने वाली पूड़ी कचौड़ी पनीर की सब्जी अथवा मसाले में लूट हो रही है? कहीं मोटरसाइकिल रैली की आड़ में धंधा जारी है! तो कई बड़े नेताओं के होने वाले कार्यक्रमों की व्यवस्था की आड़ में प्रत्याशी की जेब पर डकैती डालो अभियान जारी है?

चुनाव कर रंग देखिए जो लोग पिटनी तंबाकू खाते थे वह इस समय रजनीगंधा मसाला उड़ा रहे हैं !कुछ ऐसे भी हैं जो बीड़ी पीते हैं लेकिन इस समय साहब बन कर सिगरेट के छल्ले उड़ाते हैं?वह भी ऐसे जैसे किसी बड़ी स्टेट के राजकुमार हो? यही नहीं चुनाव के समय दारू भी स्टैंडर्ड वाली चल रही है? खैर ठर्रा वाले ठर्रा पी रहे हैं। लेकिन कुछ लोग तो इस समय अंग्रेजी वाली दारू पीकर झूम बराबर झूम शराबी का गाना गा रहे हैं? चुनाव के दरमियान प्रत्याशियों को लूटने में माहिर सियासी खटमल इस समय अपने नेवता- हकारी भी प्रत्याशी के दाम से चलने वाले वाहनों से कर रहे हैं? कहीं-कहीं तो यह हालात है कि अपने आपको पार्टी का बड़ा समर्पित, बड़ा नेता व कार्यकर्ता बताने वाले लोग पैसा ना मिलने पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाते? बल्कि प्रत्याशी पर रौब गालिब करते हैं। प्रत्याशी से चुनावी खर्चे के नाम पर अपनी जेब भरते हैं और प्रत्याशी पर एहसान भी रखते हैं? कि तुम्हारे चुनाव में मैंने इतने हजार रुपये खर्चा कर डाले हैं! बेचारा प्रत्याशी सब कुछ जानते हुए भी बस लुट रहा है? दिल कह रहा है कि जल्दी से मतदान हो जाये!

एक प्रत्याशी ने कहा भैया चुनाव में क्या फँस गए। हमारे पुरखे तर गए? प्रत्याशियों को लूटने में पीएचडी कर चुके कई चालाक चेहरे से आपस की चर्चा में बोलते हैं! अरे रुपैया वाला प्रत्याशी है। ये चुनाव का शिकार है? अन्यथा चुनाव के बाद तो यह हाथ भी नहीं रखने देगा? इसलिए इसे खूब नोच! अरे भाई खूब नोच और निचोड़ भी? इस समय पनीर खा पनीर? नहीं तो बाद में पछताएगा! ऐसा भी नहीं है कि सभी चुनावी कार्यालयों में जितने भी पार्टी के काम करने वाले कार्यकर्ता हैं !वे सब पैसे को महत्व देते हैं। तमाम ऐसे कार्यकर्ता भी है जो पार्टी का काम इमानदारी व पूरी मेहनत से कर रहे हैं।

चुनाव में प्रत्याशियों का आर्थिक शोषण करने वाले लोग इतने होशियार है कि वह ईमानदार लोगों को प्रत्याशी के नजदीक भी नहीं जाने देते? या फिर ईमानदार व्यक्ति पैसों की देखरेख करें? यह भी नहीं होने देते?चुनाव को थोड़ा समय बचा है। ऐसे में प्रत्याशियों को लूटने में जुटे कई जरायम अपना हिसाब -किताब बढ़ा चढ़ाकर प्रत्याशी के सामने पेश कर रहे हैं? रुपया मिला तो खुश! नहीं मिला तो भड़क जाते हैं? फिर इतना बिगड़ते हैं कि प्रत्याशी से कुछ रुपया झटक कर ही मानते हैं? बेचारा प्रत्याशी भी इस समय मजबूरी में बड़ा दिलवाला है! दिलचस्प है कि वह रुपया लेकर चुनाव में मदद करने वाले इन बेईमान खून चुस्सुओं को भलीभांति जान रहा है? सोचता है एक बार चुनाव जीत जाऊं। तब तुम्हें ठीक करूंगा?  फिलहाल अवसरवादी, चापलूस व बेशर्म तथा गिरगिट सा रंग बदलने वाले कई माहिर जुगाड़ से अपनी जेबों का वजन बढ़ाने में लगे हैं?इस दौरान ज्यादा नुकसान में वे हैं जो समर्पित भाव से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं ।बेचारे अपना रुपैया खर्चा कर तमाशा देख रहे हैं? एक ऐसे ही कार्यकर्ता से जब बात चली तो उसने कहा राजू भैया जी हम चाहे नेता जी के लिए जान दे दे! लेकिन जब चुनाव खत्म हो जाएगा। नेताजी हारे या जीते। वह खोपड़ी पर खून पीने वालों को ही बैठाएंगे?
ऐसे में जब कई सियासी खटमलों से बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि चुनाव का मौसम है। यह इस दौरान हमारी सहालग है। इसीलिए तो हम इस समय पनीर व पुलाव उड़ाते हैं। मुर्गा दारू भी चलता है? घर के काफी काम भी निपट रहें हैं। ज्यादा धर्म -कर्म में नहीं पड़ते! जो सामने आता है उसे हजम कर जाते हैं? आगे जो आएगा उसका लाभ उठाएंगे? जो वर्तमान में चुनाव लड़ रहे हैं उनके नाम हम पट्टा नहीं है ।नेता चुनाव जीतने के बाद लूटेगा ही?? तो हम उसे आज चुनाव के समय लूट रहे हैं? कुल मिलाकर चुनाव के इस अंतिम पड़ाव में चारों तरफ प्रत्याशियों को लूटने की धूम मची है! कुछ ऐसे भी प्रत्याशी हैं जो बड़े होशियार हैं? वे किसी के चुंगल में नहीं फंसते! बल्कि वह खुद अपने ही दल के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर उनसे पार्टी के नाम पर पैसा लेकर चुनाव लड़ रहे है। लेकिन ऐसे प्रत्याशियों की संख्या कम है। ऐसी स्थिति को देखकर आपके राजू भैया बोल ही पड़ते हैं!! खानपान व दाम की लूट है! लूट सके तो लूट? वरना चुनाव खत्म हो जायेगा तू पीछे जाएगा छूट? जबकि इस दौरान लोकतंत्र को आहत करने वाली आवाजें सुनाई देती है? अरे रुपैया वाला प्रत्याशी है? भाई नोच इसे? अरे पनीर खा पनीर! डीजल- पेट्रोल की पर्ची जरूर ले लेना !थोड़ा बढ़ा के समझा?चुनाव है चुनाव????

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