शिवराज का डोल रहा सिंहासन मध्यप्रदेश भाजपा के बदले समीकरणों से कद्दावर नेताओं में बेचैनी ?

पंकज पाराशर छतरपुर✍️

.केंद्रीय नेतृत्व पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जन निर्णय के बाद करेगा समीक्षा, वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का बजेगा डंका.!!

मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पतन के बाद बनी भाजपा सरकार के अंदरूनी समीकरण बदलने लगे हैं। इससे प्रदेश के कई कद्दावर नेताओं में बेचैनी है। इसकी वजह पार्टी में उनके कद का घटना और नए नेताओं का उभरना शामिल है। इन सबके बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मजबूत नेता बनकर उभरे हैं।
मध्य प्रदेश में 2023 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले होने वाले विधानसभा चुनाव में जाने वाला मध्य प्रदेश सबसे बड़ा राज्य होगा। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां पर पराजय का सामना करना पड़ा था, हालांकि लोकसभा चुनाव परिणामों का बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा था। हालांकि, भाजपा नेतृत्व भविष्य की संभावित स्थितियां को देखकर अभी से मध्य प्रदेश को पूरी तरह चाक-चौबंद करने में जुट गया है, जिससे वह विधानसभा चुनाव में तो जीते ही, लोकसभा चुनाव के लिए ही पूरी तरह तैयार हो सके।

प्रभावित हुईं विजयवर्गीय की भी भूमिका
दरअसल, मध्य प्रदेश में बीते दो साल में जो राजनीतिक समीकरण बदले हैं, उनमें भाजपा के भीतर उसके प्रमुख नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल की भूमिका प्रभावित हुई है। इनमें नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद सिंह पटेल तो केंद्र सरकार में मंत्री हैं। कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महासचिव है, लेकिन प्रदेश के मामलों में उनकी भूमिका पहले जितनी नहीं दिखती है।
दूसरी तरफ नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की भूमिका है, जो ज्यादा बढ़ी है। इसे भावी रणनीति से भी जोड़ कर देखा जा रहा है, जिसमें नए नेतृत्व को उभारना शामिल है। ऐसे में इन सभी को साथ में लेकर चलना भाजपा नेतृत्व के लिए बेहद अहम है।
सत्ता पलट के बाद समीकरण बदले
साल 2020 में कांग्रेस की सत्ता पलट के बाद समीकरण बदले हैं l ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनका बड़ा समर्थक वर्ग भाजपा में आया था और उसने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को समय से पहले ही विदा कर दिया था। इससे सिंधिया का कद भाजपा में भी बढ़ा और पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी उनको हाथों-हाथ लिया है। सिंधिया के बढ़ते कद और उनके साथ आए नेताओं के पार्टी संगठनों सरकार में बढ़ते प्रभाव से भाजपा के भीतर कई नेताओं की दिक्कतें बढ़ी है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश को लेकर व्यापक समीक्षा करेगा।
नेतृत्व परिवर्तन के स्पष्ट संकेत नहीं
मध्य प्रदेश में बीच-बीच में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट भी उभरती रहती है, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इस बारे में अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। शिवराज सिंह चौहान बीते 17 साल से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। अब तो वह भाजपा के स्टार प्रचारक बनकर के पूरे देश में चुनाव अभियान में भी सक्रिय रहते हैं।

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