परिन्दे मोहब्बत और मौत के संयत सुमेल का नायाब गुलदस्ता है: वीरेन्द्र सारंग
सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी
बाराबंकी। परिन्दे मोहब्बत और मौत के संयत सुमेल का नायाब गुलदस्ता है। ए0 राही को मौत की शायरी कम करके जिंदगी की गजल कहने में अधिक दिलचस्पी लेने की जरूरत है। उपरोक्त उद्गार साहित्यकार समिति द्वारा दशहराबाग स्थित ‘स्पाइसी फूड सेन्टर‘ मैं ए0 राही की सद्यः प्रकाशित गजल संग्रह ‘परिन्दे‘ के लोकार्पण समारोह के अवसर पर सुप्रसिद्ध कवि कथाकार वीरेन्द्र सारंग ने व्यक्त किये। सभा को संबोधित करते हुए आगे उन्होने गजल की ऐतिहासिक परंपरा में गालिब, जफर, जौक, खुमार , शम्सी मिनाई के हवाले से कहा गजल नित्य नई जमीन को तोड़ रही है तथा नये आयाम रच रही है मगर वही गजलकार आगे जिन्दा रहा है जो देश के आम जन के दुःख दर्द और समस्याओं को संजीदगी से आमो फहम की भाषा में बया करता है। जैसे दुष्यन्त कुमार और अदम गोंडवी। भाषा और विषय वस्तु को सिखने के लिए हमें किसी भाष कोष के पास न जाकर जनता के बीच मजदूर और किसानों के बीच जाना होगा। राष्ट्रपति पुरूस्कार विजेता शिक्षक साहित्यकार डाॅ0 राम बहादुर मिश्र ने कहा परिन्दे बाराबंकी की गजल परम्परा की एक नई कड़ी है।ए0 राही की यह पहल कदमी स्वागत योग्य है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ0 राजेश मल्ल ने ए0 राही के परिन्दे संग्रह को समय की एक जरूरत बताते हुये आगे उन्हें और अच्छा लिखने की सलाहियत दी। शायर मजाज आदि के मारफत गजल की रचनात्मक अलोचना उन्होंने पर बल दिया है। लेखक ए0 राही ने अपने गजलो को जिन्दगी, मौत और मोहब्बत का पैगाम बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये डाॅ0 श्याम सुन्दर दीक्षित ने कहा नये रचनाकार को हतोत्साहित नही बल्कि प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। जिससे वह अपनी जीवन की आगे चलकर बेहतरीन रचना भी लिख सके। सभा का संचालन कथाकार डाॅ0 विनय दास ने किया। इस अवसर पर रणधीर सिंह सुमन, मूसाखान अशान्त डाॅ0 फिदा हुसैन, आदर्श गुलसिया, पंकज कंवल, विनय कुमार, सीताकान्त मिश्र, आशीष कुमार, राजकुमार वर्मा, सुर्याश, हिमांशु पाठक, विपिन वर्मा तथा रामसिंह आदि भी उपस्थित रहे।
सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी