घटनाओं पर नज़र डालिए! यह अमरीका और उसके घटकों के बुरे दिन हैं, क्या डील आफ़ सेंचुरी इन हालात में कामयाब होगी?!
पश्चिमी एशिया के इलाक़े में लगातार महत्वपूर्ण घटनाएं हो रही हैं और यह घटनाएं किसी भी तरह अमरीका और उसके घटकों के फ़ायदे में नहीं हैं।
ताज़ा तरीन घटना यह है कि संयुक्त अरब इमारात में शार्जा के तट के सामने एक बड़े तेल टैंकर में आग लग गई जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और मीडिया में यह ख़बर सुर्खियों में है। कुछ महीने पहले इमारात के तट के सामने इसी तरह की घटनाएं हुई थीं और तेल टैंकरों में आग लग गई थी। यह अमरीका और उसके घटकों के लिए गहरी चिंता का विषय है कि वह फ़ार्स खाड़ी को सुरक्षित रखने के लिए अपने सैनिक और युद्धक नौकाएं तैनात कर रहे हैं लेकिन तेल टैंकरों और पानी के जहाज़ों की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं।
दूसरी बड़ी घटना सऊदी अरब के संबंध में हुई है जहां यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने जवाबी कार्यवाही करते हुए सऊदी अरब के प्रतिष्ठानों पर मिसाइलों की बारिश कर दी। यमन की सेना के प्रवक्ता यहया अस्सरीअ ने हमलावर सऊदी गठबंधन के ख़िलाफ़ किए गए आप्रेशन के बारे में बताया कि इस जवाबी हमले में सऊदी गठबंधन के 17 ब्रिगेड्स और 20 बटालियनों पर मौत बरसी और वह ध्वस्त होकर रह गईं। हज़ारों की संख्या में सैनिक मारे गए, घायल हुए या गिरफ़तार कर लिए गए।
सऊदी अरब के दक्षिण पश्चिमी प्रांत जीज़ान में अबहा एयर पोर्ट, ख़मीस मुशैयत छावनी और साथ ही आरामको कंपनी के तेल प्रतिष्ठानों पर यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों के मिसाइल बरसे। यहां यह भी याद रखना होगा कि अमरीका ने सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों और संवेदनशील ठिकानों की रक्षा के लिए अपने अतिरिक्त सैनिक सऊदी अरब भेजे हैं और इसके बदले 500 मिलियन डालर की रक़म रियाज़ सरकार से वसूल कर ली है।
तीसरी घटना सीरिया में हुई जहां सीरियाई सेना ने बहुत तेज़ रफ़तार आप्रेशन करके एलेप्पो शहर के क़रीब स्थित बेहद महत्वपूर्ण शहर ख़ान तूमान को अमरीका और उसके घटकों द्वारा समर्थित चरमपंथियों के कब्ज़े से आज़ाद करा लिया। यह एलेप्पो से दस किलोमीटर दूरी पर स्थित है इसलिए इसका महत्व बहुत ज़्यादा है।
दूसरी तरफ़ इदलिब प्रांत में भी बहुत महत्वपूर्ण शहर मुअर्रतुन्नोमान को सीरियाई सेना ने आज़ाद करा लिया है यहां से इदलिब शहर की दूरी 48 किलोमीटर है। इस शहर की आज़ादी के बाद अब चरमपंथियों को अच्छी तरह समझ में आ गया है कि वह सीरियाई सेना का सामना नहीं कर सकते।
इराक़ में हालात इस प्रकार के हैं कि अमरीका लाख इंकार करने के बावजूद अपने सैनिक वहां से निकालने पर मजबूर है। ट्रम्प ने एक ट्वीट में कहा है कि इराक़ में अमरीकी सैनिकों की संख्या कम होती जा रही है।
सवाल यह है कि जब अमरीका और उसके घटक इस इलाक़े में कमज़ोर पोज़ीशन में हैं और उनके मुक़ाबले में डटा हुआ ईरान के नेतृत्व वाला क्षेत्रीय मोर्चा लगातार मज़बूत होता जा रहा है तो इन हालात में फ़िलिस्तीन के बारे में ट्रम्प ने जिस योजना की घोषणा की है उसे लागू कौन करवा पाएगा?
रशा टुडे ने अपने लेख में सही लिखा कि ट्रम्प तो सेंचुरी डील को दोनों पक्षों की विजय वाली डील कहते हैं लेकिन हक़ीक़त यह है कि उनका यह बयान भी उसी बयान की तरह है जिसमें उन्होंने कहा था कि अब हमने दाइश को 100 प्रतिशत शिकस्त दे दी है।
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई के ट्वीटर हैंडल से उनका पहले के एक भाषण में कहा गया वाक्य ट्वीट किया गया है जिसमें सुप्रीम लीडर ने कहा था कि फ़िलिस्तीन के विषय को हरगिज़ भुलाया नहीं जाएगा, फ़िलिस्तीनी जनता और सभी मुसलमान राष्ट्र निश्चित रूप से उठ खड़े होंगे और डील आफ़ सेंचुरी को कामयाब नहीं होने देंगे।