अमेरिका ने काबुल में ड्रोन स्ट्राइक कर अलकायदा के चीफ अल जवाहिरी को ढेर किया।
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राष्ट्रपति जो बाइडन से ड्रोन स्ट्राइक के कोई सबूत नहीं मांग रहा। उल्टे पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बाइडन की हिम्मत की तारीफ की। अल जवाहिरी की मौत से पाकिस्तान का हाथ। सऊदी अरब खुश।
सितंबर 2016 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुस कर आतंकी ट्रेनिंग सेंटरों को नष्ट किया था, तब भारत के विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और सेना से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। हालांकि तब अमेरिका सहित अन्य देशों ने भारतीय सेना की बहादुरी की प्रशंसा की। भारत की तरह ही अब 31 जुलाई को सुबह 6 बजे अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में ड्रोन स्ट्राइक कर आतंकी संगठन अलकायदा के चीफ अल जवाहिरी को मार गिरया। हमले के समय जवाहिरी तालिबान सरकार के एक मंत्री के घर पर रह रहा था। ड्रोन से निकली मिसाइल का निशाना बेहद सटीक था, इसलिए जवाहिरी को बचने का अवसर ही नहीं मिला। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अमेरिका के लिए अल जवाहिरी की मौत इसलिए भी मायने रखती है कि 9/11 के आतंकी हमले में तीन हजार अमेरिकी मारे गए थे। अल जवाहिरी को इस हमले का मास्टर माइंड माना जाता है। ड्रोन स्ट्राइक को लेकर अब अमेरिकी सेना और राष्ट्रपति जो बाइडन से कोई सबूत नहीं मांग रहा है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ड्रोन स्ट्राइक के लिए राष्ट्रपति बाइडन की तारीफ की है। ओबामा ने कहा कि अब अमेरिकी नागरिक और सुरक्षित तरीके से रह सकेंगे। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि सितंबर 2016 में भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को ढेर किया था, जबकि 31 जुलाई को अमेरिकी सेना ने वाशिंगटन में बैठ कर ही काबूल में जवाहिरी को मार गिराया। यदि अमेरिका मिशन विफल हो भी जाता तो सैनिकों को कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन यदि 2016 में भारत का मिशन विफल हो जाता तो हमारे जवानों की जान खतरे में पड़ जाती। लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय सेना से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे गए। वहीं मानव रहित ड्रोन हमले के कोई सबूत नहीं मांग रहा है। असल में अमेरिकी नागरिकों को अपनी सेना के कथन पर भरोसा है, जबकि भारत में विपक्षी दलों के कुछ नेता पाकिस्तान के कथन पर भरोसा करते हैं।
पाकिस्तान का हाथ:
अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि अल जवाहिरी को मरवाने में पाकिस्तान का हाथ है। पाकिस्तान ने ही जवाहिरी के काबुल में छिपे होने की सटीक सूचना अमेरिका को दी। अमेरिका के ड्रोन ने भी पाकिस्तान से ही काबूल के लिए उड़ान भरी। सूत्रों के अनुसार हमले से दो दिन पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर बाजवा की अमरीका के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात हुई थी। सब जानते हैं कि अल कायदा समर्थित तालिबान को अफगानिस्तान पर काबिज करने के लिए पाकिस्तान ने ही सहयोग किया था, लेकिन अब पाकिस्तान को खुद आतंक का सामना करना पड़ रहा है। चूंकि पाकिस्तान को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अमेरिका के प्रभाव वाले विश्व बैंक से लोन चाहिए, इसलिए भी पाकिस्तान ने अमेरिका को सहयोग किया है। पाकिस्तान में सरकार से ज्यादा सेना की चलती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बराक ओबामा ने भी अपने कार्यकाल में अलकायदा के पूर्व चीफ ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में ही ढेर किया था। तब अमेरिका को मरीन कमांडो से सर्जिकल स्ट्राइक करनी पड़ी थी।
सऊदी अरब खुश:
अल जवाहिरी की मौत पर पाकिस्तान की फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सऊदी अरब ने जवाहिरी की मौत पर संतोष प्रकट किया है। सऊदी अरब सरकार की ओर से कहा गया है कि इससे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर अंकुश लगेगा। सऊदी अरब ने अमेरिकी ड्रोन हमले के सटीक निशाने की भी प्रशंसा की। असल में हमले के समय जवाहिरी अपने घर की बालकनी में खड़ा था, तभी ड्रोन से निकली मिसाइल ने उसे मौत के घाट उतार दिया। हमले के समय घर में बेटी और अन्य सदस्य भी थे, लेकिन किसी को नुकसान नहीं हुआ। अमेरिका ने जिस ड्रोन तकनीक से अपने दुश्मन को मारा है, उससे दुनियाभर में आतंकी दहशत में है। अब किसी आतंकी को मारने के लिए सेना को भेजने की जरूरत नहीं है। सऊदी अबर को भी हमेशा आतंकवादियों से खतरा है।
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