उमर अब्दुल्लाह की हिरासत का मामला, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, डोज़ियर में लगाये गये अजीबो ग़रीब आरोप

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जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह की हिरासत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अब्दुल्लाह की बहन सारा अब्दुल्लाह पायलट ने जन सुरक्षा क़ानून पीएसए के तहत हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, सारा ने उमर की जल्द से जल्द रिहाई की मांग की है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस रमना की पीठ की समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की जिसके बाद अदालत इस मामले की सुनवाई पर तैयार हो गया।
सिब्बल ने पीठ को बताया कि उन्होंने पीएसए के तहत उमर की हिरासत को चुनौती देने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है और इस मामले में इस सप्ताह सुनवाई की जानी चाहिए।
सारा ने अपनी याचिका में कहा कि केन्द्र सरकार की नीतियों से असहमति लोकतंत्र में एक नागरिक का क़ानूनी अधिकार है।
उन्होंने कहा कि उमर के ख़िलाफ आरोपों का कोई आधार नहीं है, न ही सोशल मीडिया पोस्ट या किसी अन्य तरीके से। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की गई याचिका में कहा गया कि उमर अब्दुल्लाह ने हमेशा से ही लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि उमर को पीएसए के तहत हिरासत के आदेश के साथ सौंपे गए डोज़ियर में झूठे और हास्यास्पद आरोप लगाए गए हैं।
उमर अब्दुल्लाह पर लगे आरोपों से जुड़े डोज़ियर में कहा गया है कि उमर अब्दुल्लाह किसी भी बात के लिए लोगों को प्रभावित कर सकते हैं और अलगाववादियों द्वारा किए गए बहिष्कार के बाद भी मतदाताओं को बाहर ला सकते हैं, लोगों को प्रभावित करने की उनकी क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो तब भी भारी संख्या में अपने मतदाताओं को वोट करने के लिए प्रेरित करने में सक्षम थे जब आतंकवाद चरम पर था और अलगाववादियों द्वारा मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया गया था।
डोज़ियर में आरोप लगाया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री राजनीति की आड़ में भारत की केन्द्र सरकार के ख़िलाफ़ गतिविधियों की योजना बना रहे हैं और जनता के समर्थन के साथ वह इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देने में सफल रहे हैं। (

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