भजन सुनकर भक्त पंडाल में झूमने पर मजबूर….
मुकीम अहमद अंसारी संवाददाता (एसएम न्युज24 टाइम्स) बदायूं 9719216984
बदायूं। बिसौली श्रीभक्तमाल कथा के पांचवें दिन कथाव्यास चित्र विचित्र महाराज ने कृष्ण दीवानी मीरा का मेवाड़़ के युवराज भोजराज के साथ विवाह का प्रसंग सुनाया। मीराबाई ने तुलसीदल के साथ अपने जेठ द्वारा दिए गए विष का पी लिया। संगीतमय कथा व भजन सुनकर भक्त पंडाल में झूमने पर मजबूर हो गए। ‘मेरे प्यारे गोपाला, मैं तेरी तू मेरा’ भजन पर भक्तिरस में डूबे कृष्ण भक्तों ने जमकर नृत्य किया। प्राचीन रामलीला मैदान में चल रही भक्तमाल कथा के पंचम दिवस बाबा चित्र विचित्र महाराज ने कृष्ण भक्त मीराजी के सुंदर चरित्र के वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मीरा की भक्ति जब शिखर पर पहुंची तो उनके बाबासा ने मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ विवाह तय कर दिया। कृष्ण दीवानी मीरा ने इंकार किया तो भोजराज ने उन्हें समझाकर पति के रूप में व्यवहार न करने का वचन दे दिया। विवाह के पश्चात मेवाड़ राज्य में उनका भव्य स्वागत हुआ। ससुराल में भी गिरधर के प्रेम में दीवानी मीरा रात रातभर हरिनाम संकीर्तन करतीं और संतों के बीच रहने लगीं। यह देखकर उनके ज्येष्ठ राणा विक्रमादित्य ने राज वैद्य को जहर का प्याला लेकर मीराजी के पास भेजा। भक्त मीराजी ने विष के प्याले में तुलसीदल रखा और अपने गिरधर आया भोग लगाया। प्रभु का चरणामृत के रूप में विष का पान कर लिया और अपने गोपाल जी भजन गाने लगीं। विष का पान करके मीराजी के चेहरे पर और ज्यादा तेज आ गया। यह देखकर तो राज वैद्यजी चकित रह गए।
राजवैद्य जी ने विक्रमादित्य को यह पूरा वाकया सुनाया। इस पर नाराज हुए विक्रमादित्य ने विष प्याला में शेष रहे विष का पान करने का राज वैद्य को आदेश दिया। राजवैद्य ने विष पिया और प्रभु के पास चले गए। परिवार वाले राजवैद्य के बेजान शरीर को मीराजी के पास ले गए। मीराजी ने अपने गिरधर से राजवैद्य को जीवित करने की प्रार्थना की। प्रभु ने अपने भक्त की सुनी और राजवैद्य को जीवित कर दिया। यह सब कुछ होने के बाद मीराजी ने मेवाड़ छोड़ दिया। उन्होंने तुलसीदास को पत्र लिखा। तुलसीदासजी ने भी मेवाड़ को छोड़ने को कहा।
मुकीम अहमद अंसारी संवाददाता (एसएम न्युज24 टाइम्स) बदायूं 9719216984