सीरिया के इदलिब इलाक़े के बारे में फ़ेल हो गई तुर्की और रूस की वार्ता, टकराव की आशंका बढ़ी, तुर्की ने क्यों ठुकराया रूस का प्रस्ताव, क्या अब भी अर्दोग़ान से न मिलने के फ़ैसले पर अड़े रहेंगे पुतीन?

रूस और तुर्की के बीच सीरिया के इदिलब इलाक़े के संकट के बारे में मास्को में होने वाली वार्ता का तीसरा दौर भी नाकाम हो गया कारण यह था कि रूस ने यह साफ़ कर दिया है कि आतंकी संगठनों की सूचि में रखे जा चुके संगठनों को इदलिब में हरगिज़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, इन संगठनों के ख़िलाफ़ कार्यवाही होगी और इदलिब पर सीरियाई सेना का कब्ज़ा हर हाल में बहाल किया जाएगा।
तुर्की की मांग थी कि सीरियाई सेना आतंकी संगठनों के खिलाफ़ अभियान तत्काल रोक कर वापस लौट जाए।
वार्ता नाकाम होने का मतलब यह है कि इदलिब में सीरियाई सेना की प्रगति जारी रहेगी और वह बचे खुचे इलाक़ों को भी चरमपंथियों के क़ब्ज़े से आज़ाद कराएगी। जबकि इस अभियान में उसे रूस का समर्थन भी हासिल रहेगा। तुर्की के सामने केवल दो विकल्प हैं। या तो वह ज़मीनी सच्चाई को स्वीकार करे और इदलिब पर सीरियाई सेना का क़ब्ज़ा बहाल हो जा जाने दे क्योंकि यह सीरिया का इलाक़ा है या फिर सीरियाई सेना की प्रगति रोकने के लिए सीरिया और रूस दोनों से टकरा जाए।
राष्ट्रपति अर्दोग़ान के सलाहकार डाक्टर इब्राहीम क़ालेन ने अंकारा में अपनी प्रेस कान्फ़्रेन्स में माना कि मास्को में वार्ता नाकाम हो गई क्योंकि तुर्की ने रूस की ओर से पेश किय गया प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। रूस ने अपने बयान में कहा कि सीरिया में टिकाऊ शांति तभी स्थापित हो सकती है जब सीरिया की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान किया जाए।
यह बिंदु महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब यह है कि रूस तुर्की की इस मांग से सहमत नहीं है कि सीरियाई सेना उन इलाक़ों से पीछे हटे जिन्हें उसने चरमपंथियों के क़ब्ज़े से आज़ाद कराया है।
तुर्क राष्ट्रपति ने सीरियाई सेना को फ़रवरी के अंत तक की मोहलत दी है कि वह इसके भीतर इदलिब से पीछे हट जाए वरना उसे ज़बरदस्ती पीछे हटा दिया जाएगा। अर्दोग़ान ने यह धमकी तो दे दी है लेकिन उन्हें पता है कि वह इस पर अमल नहीं कर पाएंगे क्योंकि अमल करने की स्थिति में उन्हें केवल सीरियाई सेना नहीं बल्कि रूसी सेना का भी मुक़ाबला करना पड़ेगा।
तुर्की के विदेश मंत्री मौलूद चावुश ओग़लू ने कहा कि यदि इदलिब के बारे में वार्ता का नतीजा न निकला तो तुर्की और रूस के राष्ट्रपतियों के बीच वार्ता होगी मगर राष्ट्रपति पुतीन अपने तुर्क समकक्ष से मुलाक़ात करने में कोई रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
पुतीन को अर्दोग़ान की यूक्रेन यात्रा पर बड़ी नाराज़गी है वहां उन्होंने यूक्रेन की महानता की बात की थी और क्रीमिया प्रायद्वीप को यूक्रेन को लौटाए जाने की बात कही थी। पुतीन क्रीमिया का रूस में विलय कर चुके हैं। अर्दोग़ान शायद भूल गए कि उन्हें अभी बहुत से मामलों में पुतीन के साथ काम करना है।
आने वाले दिन सीरिया के पटल पर निर्णायक साबित होंगे ख़ास तौर पर इदलिब के हालात में तेज़ी से बदलाव आएगा और यदि तुर्की ने कोई उत्तेजक क़दम उठाया तो क्षेत्रीय नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय लड़ाई शुरू हो सकती है क्योंकि अमरीका भी हालात का फ़ायदा उठाने की ताक में बैठा है जो तुर्की को इदलिब के दलदल में फंसा देना चाहता है।
अब्दुल बारी अतवान
अरब जगत के जाने माने टीकाकार

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