कोरोना की महामारी के बाद अब बदल जाएगी दुनिया, लीडरशिप की परीक्षा में फ़ेल हुआ अमरीका! कोरोना की लड़ाई के विजेता लिखेंगे आगे का इतिहास
समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ
हालिया हफ़्तों में दुनिया भर में कोरोना वायरस के प्रसार के कारण अनेक शहरों में ज़िंदगी की रफ़तार थम गई और बहुत से बाज़ारों को बंद करना पड़ा इससे दुनिया की अर्थ व्यवस्था और सरकारों को भारी नुक़सान पहुंचा है।अमरीकी मैगज़ीन फ़ारेन पालीसी ने अपने एक महत्वपूर्ण लेख में लिखा है कि कोरोना महामारी एक नया मोड़ है जो बरलिन की दीवार गिरने या लेहमन ब्रदर्ज़ बैंक के डूब जाने जैसी बड़ी घटना है। अभी अनुमान लगा पाना कठिन है कि इस महामारी के बाद दुनिया का क्या रंग होगा।मैगज़ीन ने 12 विशेषज्ञों से बातचीत करके यह अनुमान लगाने की कोशिश की है कि कोरोना महामारी समाप्त होने के बाद दुनिया की क्या स्थिति होगी। इनमें से पांच महत्वपूर्ण विशेषज्ञों ने जो बातें कहीं वह निम्निलिखित हैंदुनिया पहले जितनी खुली हुई और आज़ाद नहीं रहेगी
हार्वर्ड युनिवर्सिटी के इंटरनेशनल रिलेशंस के शिक्षक प्रोफ़ेसर स्टीफ़न वाल्ट का कहना है कि कोरोना के कारण दुनिया की बहुत सी सरकारें कड़े क़दम उठाएंगी और बहुत से मामलों में रोकटोक करेंगी लेकिन महामारी के समाप्त हो जाने के बाद भी कड़े नियमों को बाक़ी रखना पसंद करेंगी।
प्रोफ़ेसर वाल्ट का कहना है कि इस महामारी के बाद पश्चिम के बजाए पूर्वी देशों की पैठ बढ़ गई है क्योंकि दक्षिणी कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों ने अमरीका और यूरोपीय देशों से ज़्यादा बेहतर अंदाज़ में इस महामारी को कंट्रोल किया। चीन ने तो बिल्कुल नई महामारी का सामना होने और शुरू में अनेक प्रकार की कठिनाइयां होने के बावजूद महामारी को बड़ी कामयाबी से क़ाबू में किया है।भूमंडलीकरण की कहानी ख़त्म चैटम हाउस के सीईओ राबिन नैबलेट का मानना है कि कोरोना महामारी ने आर्थिक भूमंडलीकरण का काम तमाम कर दिया है। महामारी से पहले अमरीका को बहुत चिंता थी कि चीन की आर्थिक और सामरिक ताक़त तेज़ी से बढ़ती जा रही है।
इसे देखते हुए अमरीका ने अपने घटकों की मदद से चीन को आधुनिक तकनीक से वंचित रखने की कोशिश की। मगर कोरोना की महामारी के बाद अब देशों की सोच बदल जाएगी और वह अलग आधारों पर सहयोग की नीति बनाएंगे।भूंडलीकरण होगा तो उसका केन्द्र चीन होगा
सिंगापुर युनिवर्सिटी में एशिया फ़ाउंडेशन के अध्ययनकर्ता किशोर महबूबानी का कहना है कि कोरोना की महामारी आर्थिक भूमंडलीकरण को तो समाप्त नहीं करेगी लेकिन इसका रुख़ ज़रूर मोड़ देगी। अब भूमंडलीकरण चीन के इर्द गिर्द घूमेगा। अब अमरीकी जनता को भी आज़ाद व्यापार पर भरोसा नहीं रह गया है जबकि चीन आर्थिक भूमंडलीकरण को लेकर आत्म विश्वास से भरा हुआ है।
लीडरशिप की परीक्षा में अमरीका फ़ेल हुआइंटरनेशनल फ़ाउंडेशन फ़ार स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ की डिप्टी डायरेक्टर कोरी चेक का कहना है कि कोरोना की महामारी के बाद अमरीका के पास दुनिया की लीडरशिप नहीं रह जाएगी। अमरीका का रवैया बहुत तंग नज़री वाला रहा है इसलिए दुनिया अब उसे लीडर मानने के लिए तैयार नहीं होगी।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को इस महामारी के संबंध में ठीक समय पर अनुसंधान करके दुनिया की सरकारों को जागरुक करना चाहिए था, इस संबंध में अमरीकी सरकार अपना रोल अदा कर सकती थी मगर वाशिंग्टन लीडरशिप की परीक्षा में पूरी तरह नाकाम रहा।
इतिहास कोरोना को पराजित करने वाले लिखेंगेब्रोकिंग्ज़ फ़ाउंडेशन के डायरेक्टर जान एलेन का कहना है कि कोरोना के ख़िलाफ़ जारी लड़ाई में जो विजयी होगा वही अब आगे का इतिहास लिखेगा।कोरोना ने सारी दुनिया को आतंकित कर दिया है इस बीच जो देश अपनी व्यवस्था और तैयारियों की मदद से कोरोना वायरस पर क़ाबू पा सकेगा वही विजयी माना जाएगा।स्रोतः फ़ारेन पालीसी